जीवन: निरंतर सीखते रहने की प्रक्रिया - by Anita Negi



जीवन ईश्वर का दिया अनमोल उपहार है, इस उपहार को सहेजना है, संवारना है,या यूं ही जाया करना है, यह हम पर निर्भर करता है| वास्तव में हम ही स्वयं के भविष्य के निर्माता हैं| इसी क्रम में सीखना अत्यंत महत्वपूर्ण चरण है, जीवन एक लर्निंग प्रोसेस है, निरंतर से रहने की प्रक्रिया है| कोई भी व्यक्ति कभी अपने आप में संपूर्ण नहीं होता, सर्वज्ञानी सर्वज्ञाता नहीं हो सकता आप जीवन में एक अध्याय को सीखते हैं उस में पारंगत होते जाते हैं तो दूसरा अध्याय आपका इंतजार कर रहा होता है| 

मुझे बहुत आता है या मैं सब जानता हूं ऐसा कहने वाले लोग अक्सर किसी न किसी क्षेत्र में धराशाई होते हैं| यदि मनुष्य में सीखने की दृढ़ इच्छा शक्ति है तो वह प्रकृति की किसी भी चीज से कुछ ना कुछ सीख सकता है एक 5 साल का बच्चा भी आपको बहुत कुछ सिखा सकता है, और एक बुजुर्ग व्यक्ति से भी आप बहुत कुछ सीख सकते हैं और इसके विपरीत यदि आप सीखना ही नहीं चाहते तो फिर स्वयं भगवान भी साक्षात् आकर आपको कुछ नहीं सिखा सकते| जीवन निरंतर सीखते रहने वाली प्रक्रिया है उसका अनुसरण करते हुए स्वयं को हर पल हर क्षण सीखने के तैयार रखें क्योंकि यह व्यक्ति के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में सहायक है|


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