तू अर्जुन बन जा - by Anjali Goswami
तू जब तक लक्ष्य के लिए अडिग खड़ा है,
परवाह नहीं रुकावट बन कौन अड़ा है।
जिसकी राह में बाधाएं ना हो ,
उस लक्ष्य को पाने में भला क्या मज़ा है।
तू बाधाओं से कभी डरना नहीं,
बाधाएं आती इस हेतु , की तू रुक जाएं यही।
रुक जाना लेकिन तेरी फितरत नहीं,
आगे बढ़ने की तुझमें ललक है बड़ी।
इस ललक से लौ जला,
जीवन में बिखरे अंधेरों को हटा।
स्वयं पर विश्वास दिखा ,
खुद से अच्छा तेरा साथी कहा।
तुझ से ज्यादा कौन जाने तेरी रज़ा है क्या,
अपने अंदर के शूरवीर को जगा ।
भेद दे सारे चक्रव्यूह ,अर्जुन बन जा ,
मछली की आंख के जैसे,
लक्ष्य पर अपना निशाना बना।
लक्ष्य प्राप्ति एक दिन की तो बात नहीं ,
इसमें तेरा जीवन लगा ।
दुनिया देखती सिर्फ तेरी सफलता,
कौन जाने इसे पाने में तू कितनी बार गिरा संभला ।
इसलिए भूल जा बाकी बातों को,
क्योंकि लक्ष्य सधा तो ही जीवन सधा ।।
Lovely poem!
ReplyDeleteNice poem👌👌
ReplyDeleteNice poem👌👌
ReplyDeleteMesmerising
ReplyDeleteStupendous 🥰
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