स्वास्थ्य - by Ram Krishna Joshi
स्वास्थ्य मनुष्य की वो पुंजी है जिससे उसकी आयु निर्धारित होती है स्वास्थ्य से बढ़कर मनुष्य के लिए कोई भी पूंजी मूल्यवान नही है आपके पास संसार के सारे साधन आप कितनी भी लग्जरी लाइफ जिए आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं है तब आपकी अंतरात्मा आपसे कहेगी अथाह दौलत का कोई भी महत्व नही है स्वास्थ्य का सीधा संबंध होता है आपका मन आपकी आत्मा आपकी इंद्रिया आयुर्वेद कहता है:- मन ,आत्मा ,इंद्रिया अगर प्रसन्न नही है आप स्वस्थ होने के अधिकारी नही है आयुर्वेद स्वस्थ रहने का निर्देश कुछ इस प्रकार से देता है प्रथम आपकी दिनचर्या अगर आपकी दिनचर्या व्यवस्थित है तब आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता प्राकृतिक रहेगी
रोग प्रतिरोधक क्षमता अगर प्राकृतिक है मन आत्मा इंद्रिया पूर्ण रूप से प्रसन्ना रहेगी
सूत्र कुछ इस प्रकार से है:--
दिनचर्या:- ब्रह्म मुहूर्त मे उठकर सोच इत्यादि से निवृत्त होकर स्नान ध्यान योग और इष्ट देव की प्रार्थना यहीं से ही आपकी स्वास्थ दिनचर्या प्रारंभ होती है इष्टदेव का स्मरण ध्यान आपके विचारों में शुद्धता लाता है विचार शुद्ध रहेंगे मन मे किसी प्रकार की दुर- भावना नही आएगी। मन हमारे पूरे शरीर को नियंत्रित करता है जो प्रधान उभय इंद्रिया है
इंद्रिया अगर प्रसन्न है आत्मा का स्वाभाविक रूप से प्रसन्न होना तय है
भोजन:-- संतुलित आहार भी हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है भोजन अगर व्यवस्थित है संतुलित है पाचन क्रिया दुरुस्त है हमारा शरीर स्वस्थ होने का प्रमाण देता है
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