वर्तमान से प्रारब्ध का रहस्य - by Ram Krishna Joshi
कुछ दूरी पर चलने के उपरांत गुरु ने कहा पुत्र अब हमे विश्राम करना चाहिए ! जी गुरुदेव। एक घने वृक्ष के पास दोनो गुरु शिष्य विश्राम करने के लिए बैठ गए गुरुदेव ने कहा पुत्र पानी की व्यवस्था कर लो हम भोजन भी कर लेते है शिष्य एक पात्र मे बहते सरोवर से पानी लाया दोनों गुरु शिष्य भोजन करने के लिए बैठ गए|
परंतु शिष्य का मन अभी भी उस भिकारी का चिंतन कर रहा था गुरुदेव ने कहा पुत्र मे देखा हू जब से तुमने उस भिखारी को देखा है तुम उदास दिख रहे हो शिष्य ने दोनों हाथ जोड़कर गुरुदेव से कहा :-- हे गुरुदेव उसे देख कर मेरा मन बहुत दु:खी हो रहा है समझ नही आ रहा ईश्वर की प्रकृति इतनी क्रूर कैसे हो सकती है।
गुरुदेव ने तनिक मुस्कुराते हुए कहा पुत्र मे तुम्हें एक कहानी सुनाता हू ध्यान से सुनना यमराज एक जीवात्मा को चित्रगुप्त के समक्ष प्रस्तुत करते है वहा उसके कर्मों का लेखा जोखा देखकर आदेश देते हैं इसे पुनः मनुष्य जीवन मिलना चाहिए इतना ही कहा था कि वहा सभी न्याय कमेटी के ( सदस्यो) ने देवताओ ने आपत्ति ली और तर्क देने लगे करने लगे है चित्रगुप्त जी ये क्या आपने इसके कर्मों का लेखा जोखा पडा चित्रगुप्त ने कहा हा मैंने इसके कर्मों का लेखा जोखा पड़ा मे पुनः तुम सबको पढ़कर भी सुनाता हू ताकी तुम्हारी जिज्ञासा शांत हो जाए|
चित्रगुप्त ने उस जीवात्मा विवरण प्रस्तुत किया " जब यह महज 10 वर्ष का था तब से यह कुसंगत संगत मे पड़ गया था इसका पहला अपराध था (1) इसने विद्यालय मे अपने गुरु पर पत्थर से हमला किया था इसके बाद यह कभी विद्यालय नही गया (2) जब यह 15 वर्ष का हुआ हर तरह का नशा करने लगा नशे का कारोबार करने लगा (3) जब यह 20 वर्ष का हुआ. तब लोगों को डराना धमकाना उनसे जबरन पैसा वसूल करना हराम के पैसे से क्लबो मे जाना अय्याशी करना कामवासना को शांत करना . उम्र जैसे-जैसे इसकी बढ़ती गई इसके कुकर्म भी बढ़ते गए। कई निर्दोष लोगो की हत्याए करने लगा कई महिलाओ को इस ने विधवा बनाया बच्चों को अनाथ किया बूढ़े मां बाप से उनका एकमात्र सहारा छीना। इसके कु-कर्मों की लिस्ट बहुत लंबी है चित्रगुप्त ने सभी से कहा देव अधिकारी ने कहा:- आश्चर्य है आप फिर भी इसे मनुष्य बना रहे चित्रगुप्त ने कहा मनुष्य जरूर बना रहा हू परंतु मनुष्य कैसा बनेगा जरा यह भी समझलो " सबसे दरिद्र घर मे इसका जन्म होगा, जन्म से ही श्वेत कुष्ठ रहेगा जो इसे पल पर कष्ट देगा दाए हाथ का एक पंजा नहीं रहेगा केवल बाया हाथ का रहेगा वह भी शक्तिहीन रहेगा बड़ी ही मुश्किल से अन्ना- ग्रास खा पाएगा दोनों पैर पोलियो से ग्रस्त रहेंगे एक नेत्र से सिर्फ हल्का सा दिखेगा ताकि यह रेंगते रेंगते इसकी झोपड़पट्टी मे पहुंच सके इसका मनुष्य जीवन बहुत ही कष्ट प्रदान करने वाला रहेगा इसकी उम्र 100 वर्ष से अधिक रहेगी जैसे-जैसे इसकी उम्र बढ़ती जाएगी इसके शरीर को और भी अधिक कष्ट मिलेगा इसके शरीर में कीडे भी रहेंगे पल-पल कष्टों का अनुभव होगा मृत्यु की कामना करेगा मृत्यु नसीब नही होगी 100 वर्ष की उम्र के पश्चात जब इसकी कष्ट सहते सहते मृत्यु होगी इसके बाद फिर से इसे 8400000 योनियों मे भटकना होगा"
गुरुदेव ने कहा :- पुत्र संसार मे मनुष्य अपने कर्मों के अनुसार फल को भोगता है जिस भिकारी का तुम चिंतन कर रहे हो निश्चित ही उसके कर्म पूर्व जन्म मे कुछ इस प्रकार के रहे होंगे।" हर मानव अपने प्रारब्ध के कर्म के अनुसार आज के संसार में विभिन्न प्रकार का शरीर धारण करता है और उसी के आधार पर कर्मानुसार धरती पर समय व्यतीत करना पड़ता है पुत्र /:-- ईश्वर की प्रकृति कभी भी क्रूर नही हो सकती "|
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