दिल बेचारा - by Shubhasish Pattanayak



बात तुम्हारी होती है
जब अकेला बैठता हूं मैं।
क्यूं हुआ जो भी हुआ
यही सोचता रहता हूं मैं।

चले गए तुम कहीं,
कलाकारी साथ लिए।
किसीको भी खबर नहीं,
ऐसे केसे बिखर गए।

चलो छोड़ो ये सब बातें,
चलो कुछ और करते हैं।
भरे हुए नैन रहते,
सावन के कुछ बाहार लाते हैं

कल देखा फिल्म तुम्हारा,
मत पूछो के कैसा लगा,
बुरा लगा अच्छा लगा!
चुभ सा गया या दिल पे लगा!

देख कहां रहे थे हम
तुम्हारी उस चित्रकारी को!
हम तो बस निहार रहे थे
तुम्हारी उस इश्क़ - ए - यारी को।

क्या खूब सिखाया है
जिदंगी का सार तुमने।
क्या खूब निभाया है
जिदंगी के अंत लम्हे।

नहीं भूलेंगे Kizie Manny को,
वादा रहा ये तुम्हे हमारा।
यादें तुम्हारी बस सी गई हे, 
क्या करे ये दिल बेचारा। 


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