पेड़ लगाओ, प्रकृति बचाओ - Lokesh Kumar Upadhyay



आज प्रकृति भी कितनी
मौन हैं,,
कभी हरे-भरे हुआ करते थे वन, 
चहचहाहट होती थी
पक्षियों की
महकते थे वो रास्ते,
जो कभी जंगलो से सटे हुए थे !
अब ना वो महक रही
और,,,, 
ना ही वो जंगल
आख़िर ऐसा क्यूँ..?
इंसान इतना स्वार्थी 
हो गया निज काज
हेतू साफ़ कर दिए
वन,,,
और अब रोते हैं
क्यों रुष्ट हैं प्रकृति..?
फ़िर से चाहते हो महकाना
भावी जीवन को,
 तो लो संकल्प
घर मे मांगलिक अवसर,
त्योंहार, या फिर पुण्य-तिथि
के पावन अवसर पर 
एक पेड़ जरूर लगाएं !
और संकल्प ले,
जब तक वृक्ष नहीं
बन जाता,
 में अपने 
बच्चों ही कि भांति
पालन-पोषण करूँगा
फिर देखते हैं,,,
कैसे सँवरते हैं जंगल
फिर से महक उठेंगे रास्ते,
चहक उठेंगे जंगल
प्रकृति भी खिल उठेगी
जीवन में वापस आएंगे
नवरंग……🌱🌱🌱
पेड़ लगाओ,
       प्रकृति महकाओ।


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