आधुनिक गुरुजी ( हास्य कविता ) - by Abhilasha "Abha"
गुरु को ऐसा होना चाहिए,
जो ना रखे पढ़ाने की आस,
विद्यार्थी रहें घर पर ही,
हाजिरी बना कर परीक्षा में कर दे पास।
पानी जो बरसा झमाझम,
गुरु चेला दोनों हर्षाए,
पानी के बहाने छुट्टी कर,
पकोडों का आनंद उठाएं।
कुर्सी पर बैठ गुरु जी,
जब देने लगे ज्ञान,
बोलते बोलते जुबान सुखा,
चेला खिलाए पान।
पढ़त पढ़्त तो सब सीखा,
मिला ना चीटिंग का ज्ञान,
इसकी भी शिक्षा दो गुरुजी,
तब ही बढ़ेगा आपका मान।
चेला ऐसा हो गुरु जी का,
जिससे हो सबको आराम,
गुरुआईन जीआराम करें,
चेलन करें सब काम।
Writer:- Abhilasha "Abha"
From:- Patna, Bihar
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