हे कृष्ण ______! - by Abhilasha "Abha"
हे कृष्ण_ _ _ _!
तेरी छवि पर क्या लिखूं,
चाहे मैं दूं कितनी भी परिभाषाएं,
तुम सदा रहे अपरिभाषित,
चाहे मैं कितना भी लिखूं!
हे कृष्ण _ _ _ _!
तुमको मैं क्या लिखूं,
प्रेम का सागर या मन का गागर,
प्रीत का आईना या श्रृंगार रस का सागर,
तुमको मैं क्या लिखूं?
हे कृष्ण _ _ _ _!
ज्ञान देते तुम मथुरा में,
रास रचाते वृंदावन में,
राधा के प्राण लिखूं,
या गोपियों की जान लिखूं!
तुमको मैं क्या लिखूं?
हे कृष्ण _ _ _ _!
तुम जन्मे तो जेल में,
पालन हुआ गोकुल में,
दो दो तुम्हारी माताएं,
किसका मैं नाम लिखूं!
तुमको मैं क्या लिखूं?
हे कृष्ण _ _ _ _!
देवकीनंदन तुम कह लाए,
यशोदा के लाल भी तुम ही बने,
नंद बाबा के कांधों पर खेले,
तुम वासुदेव के नैनन में पले,
तुमको किसका पुत्र मैं लिखूं!
तुमको मैं क्या लिखूं?
हे कृष्ण _ _ _ _!
बालक का नटखट रूप लिखूं,
या विष्णु का अवतार,
राम की मर्यादा लिखूं या,
सुदर्शन की रफ्तार,
या नरसिंह का क्रोध मैं लिखूं!
तुमको मैं क्या लिखूं?
हे कृष्ण_ _ _ _!
बंधन लिखूं या मुक्ति,
प्रेम लिखूं या भक्ति,
मीरा की वाणी लिखूं,
या कंस की मौत लिखूं!
तुमको मैं क्या लिखूं?
हे कृष्ण_ _ _ _!
गायों के साथ खेलता हुआ,
ग्वाला लिखूं,
या माखन चुराता हुआ,
माखन का चोर लिखूं,
आत्मा का ज्ञान लिखूं,
या परमात्मा की सुंदर छवि लिखूं,
हे कृष्ण _ _ _ _
कि मैं तुमको_ _ _
सर्वशक्तिमान ईश्वर ही लिख दूं,
हे कृष्ण _ _ _ _!
हे कृष्ण _ _ _ _ _!
Writer:- Abhilasha "Abha"
From:- Patna, Bihar
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