प्रतीक्षा - by Anita Negi
यूं तो प्रतीक्षाऐं हमेशा से ही रहीं है मेरे जीवन में,
ठीक वैसे ही जैसे मैं रहती हूं हर किसी के जीवन में|
मगर तब तक जब तक मुझसे कुछ काम है....
कुछ प्रतिक्षाएं तो पूरी हो जाती हैं कुछ बूढ़ी हो जाती हैं,
उनके हाथों पर चेहरे पर झुर्रियों की लकीरें सी खींच जाती हैं|
कुछ प्रतिक्षाओं की आवाज कांपने लगती है और कुछ असमय मौत का शिकार हो जाती है|
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कुछ दिन की उदासियों से आंसूओं से उनकी विदाई भी हो जाती है|
कुछ प्रतीक्षाऐं बड़ी मायावी होती हैं भ्रम देती हैं बार-बार,
कि अब वो नहीं है शायद खुद को सहज करने के लिए|
पर वो मरती नहीं कभी शाश्ववत रहती हैं और वक्त के साथ-साथ अपने होने का एहसास दिलाती हैं|
कभी-कभी प्रतीक्षा भी बदलाव चाहती हैं, जैसे किसी के आने की प्रतीक्षा उसे भूल जाने की प्रतीक्षा में बदल जाती हैं|
जैसे बारिश की प्रतीक्षा की धूप की प्रतीक्षा से अदला बदली हो जाती है| प्रतीक्षाओं के अदला-बदली का दौर चलता ही रहता है|
लेकिन अंत में रह जाती हैं प्रतीक्षाऔर सिर्फ प्रतीक्षा....
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