मैं मौन हूँ शब्दहीन नहीं (हिन्दी कविता) - by Anjali Goswami
सुना है मौन युद्ध विराम का प्रतीक है ,
अनेक प्रश्नों का उत्तर सटीक है ।
मौन साधना के समान है ,
हा ये विवेकशील व्यक्ति की पहचान है।
लेकिन क्या मौन रहना इतना आसान है ,
ये साधना लेती कई इम्तेहान है।
मेरे मौन को दिया जाता कमजोरी का नाम है ,
गलतफहमियां बढ़ाकर करते मुझे बदनाम है।
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तब ये मन हिलोरे लेता है ,
भावनाओं का तूफ़ान खड़ा कर देता है ।
दिल से एक ही आवाज़ आती है ,
हर पल मौन रहकर क्या पाती है ।
कभी अपनी भावनाओं की भी सुना कर ,
जब बात हो आत्मसम्मान की,
तो चुप्पी तोड़ दिया कर ।
हर पल शब्दहीन होना बेबसी कहलाती हैं ,
और ये बेबसी बेरहमी से रोंदी जाती है।
इसलिए अपने शब्दों को ,
अपनी आवाज़ देना जरूरी है
समय समय पर गलत के खिलाफ़ ,
बोलना भी जरूरी है।
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