नारी शिक्षा - by Arti Dvivedi


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शिक्षक दिवस लेखन प्रतियोगिता

प्रतियोगिता संख्या - 2

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प्रतिभागी का नाम - Arti Dvivedi


 “नारी तू जननी है 

अखंड भारत की नींव है तू।
 राष्ट्र को है अब इंतजार तेरा
 देख अब तू मत घबरा 
निकल अब तू देख जरा
 किस कदर है इंतजार तेरा।“

शिक्षा किसी भी व्यक्ति का एक आधार है व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान है। आज के समाज तथा राष्ट्र को एक शिक्षित आधार, अनुशासित आदर्श और अग्रसर विकास की ओर विचारों की आवश्यकता और इंतजार है।


ऊपर के पंक्तियों से मेरा यह तात्पर्य है कि शिक्षित परिवार एक शिक्षक समाज और शिक्षित समाज एक विकसित राष्ट्र का निर्माण करता है।
भविष्य का निर्माण आज की उत्पत्ति है और उत्पत्ति का निर्वाण नारी ही है।


 नारी मूल आधार, स्थिर, सजग, मजबूत बनाने के लिए शिक्षा यानी किसी भी चीज की विस्तृत जानकारी रखना अत्यंत आवश्यक है। नारी की शिक्षा ही अखंड राष्ट्र के निर्माण की परिकल्पना कर सकती है।


कहा जाता है कि अगर आप एक पुरुष को शिक्षित करते हैं तो आप केवल एक पुरुष को शिक्षित करते हैं परंतु अगर आप एक नारी को शिक्षित करते हैं तो आप एक संपूर्ण परिवार को शिक्षित करते हैं।
यही नारी शिक्षा के महत्व का मूल है।


यहां एक व्यक्ति को शिक्षित करके एक साथ चार पांच लोगों को शिक्षित करने का कार्य सिद्ध होता है।
यही कारण है कि नारी शिक्षा आज के समय में सबसे ज्वलंत और मूलभूत आवश्यकताओं में है।
आज भी हमारे यहां नारी शिक्षा पर जितना सामाजिक प्रयत्न होना चाहिए उतना नहीं होता है।
सरकार अपनी तरफ से पूरी कोशिश करती है उसके लिए लगातार विज्ञापन, प्रोत्साहन और नए-नए योजनाओं के माध्यम से अधिक से अधिक नारी को शिक्षित करने का प्रयास करती है। परंतु सरकार का यह प्रयास एक तरफा सिद्ध हो कर रह जाता है जब सामाजिक क्षेत्रों में अपेक्षाकृत उत्साह परिलक्षित नहीं होता।


सामाजिक उत्साह में कमी के कारण योजनाओं का लाभ समाज के उस वर्ग तक नहीं पहुंच पाता है जिसको इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।
शिक्षा के दो महत्वपूर्ण भाग होते हैं
पहला है पुस्तक प्रदत्त शिक्षा
और दूसरा तो उसे भी महत्वपूर्ण है वह है जीवन अथवा अनुभव प्रदत्त शिक्षा।


पुस्तक प्रदत्त शिक्षा वह है जो हमें शैक्षिक ज्ञान से परिचय कराती है।
इस शिक्षा को ग्रहण करने के लिए विद्यालयों, महाविद्यालयों, शोध संस्थानों जैसे औपचारिक संस्थानों की आवश्यकता होती है और ऐसे संस्थानों में पारंपरिक रूप से एक सुगठित तरीके से शिक्षा का पाटन पाटन होता है।


इसके विपरीत जीवन तथा अनुभव प्रदत्त शिक्षा रोज के और व्यवहार के सबक और सीख से प्राप्त होती है।
एक समुचित शिक्षा वह है जहां पुस्तक शिक्षा रूपी अस्थि ढांचे को व्यवहारिक शिक्षा रूपी मांसलता के द्वारा एक संपूर्ण शरीर की रचना होती है।


शिक्षा के इन दोनों रूपों का पारस्परिक संबंध में और सही अनुपात में होना ही संपूर्ण शिक्षा कहलाता है।
यह शिक्षा सभी नागरिकों के लिए अति आवश्यक है।
और जैसा कि ऊपर कहा गया है स्त्रियों के लिए यह संतुलित शिक्षा सबसे ज्यादा आवश्यक है।
शिक्षा ही स्त्रियों के सशक्तिकरण का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है।
शिक्षा से वे अपने आप को सामाजिक बंधन की कुरीतियों और रूढ़ियों से सबसे सशक्त तरीके से मुक्त कर पाती हैं।


शिक्षा ना केवल उदय स्वयं और समाज के प्रति जागरूक करता है बल्कि अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति पहले से अधिक सजग और सशक्त करता है।
आर्थिक रूप से पिछड़े व्यक्तियों के लिए शिक्षा उस रज्जू मार्ग का काम करती है जो उन्हें अर्था भाव के अंधकार से आर्थिक क्षमता की तरफ अग्रसर करती है।


स्त्रियों के लिए यह दोहरे लाभ का काम करता है। एक तरफ वह अपने परिवार को आर्थिक अभाव के दलदल से बाहर निकाल पाती हैं दूसरी तरफ वह अपने व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा ज्यादा सशक्त माध्यम से कर पाती हैं। 


विद्या का उपयोग अगर नौकरी या अर्थ लाभ के लिए नाभि करें तो भी विद्या के महत्व में किंचित कमी की कोई संभावना नहीं है। विद्या व्यक्ति को अधिक से अधिक विज्ञान दोहन के लिए प्रेरित करता है। एक प्रसिद्ध साहित्यकार ने कहा है कि जो व्यक्ति पुस्तक नहीं पड़ता उसमें और जो व्यक्ति पुस्तक नहीं पढ़ सकता उसमें कोई अंतर नहीं है। दोनों एक ही सामान्य मूर्ख और अशिक्षित दोनों हैं।


इसलिए जो कोई भी शिक्षित है उसे अध्ययन का कोई भी अवसर हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। जो भी पुस्तक जब भी हाथ में मिले जहां भी मिले उसे उठाकर पढ़ लेना चाहिए। यह उसे विद्या के साथ जीवन अनुभव का रसास्वादन भी करवाएगा।


व्यक्ति अपने जीवन में एक ही जिंदगी जीता है और उसी जीवन काल के अनुभव को प्राप्त करता है। परंतु अगर वह अध्ययन की तरफ प्रेरित है तो जितनी पुस्तकें उसने पड़ी उसे उतने जीवनकाल के अनुभव का लाभ मिलेगा।
नारी शिक्षा के रास्ते में बहुत सी चुनौतियां आती हैं। 
सबसे बड़ी चुनौती है सामाजिक पिछड़ापन जो पुरुष के उस हीन भावना से जन्म लेता है कि अगर नारी उससे अधिक पढ़ ली गई और उससे अधिक सजग हो गई तो उसे छोड़कर आगे निकल जाएगी। 


इसी हीन भावना से ग्रसित पुरुष ने नारी के पढ़ने के हर प्रयास को बाधित करने की हर संभव कोशिश की। 
वर्तमान चेतना जितनी नारी के लिए महत्वपूर्ण है उससे अधिक वह उन पुरुषों के लिए महत्वपूर्ण है जो नारी की शिक्षा में बाधा डालते हैं या बाधा बनते हैं।
शिक्षित नारी एक सशक्त नारी है


यह प्रगति के प्रशस्त मार्ग पर चलने वाली गाड़ी का एक मजबूत पहिया है जिसके अभाव में उस गाड़ी का खिसकना असंभव है।
सामाजिक जागरूकता ही नारी शिक्षा को मजबूती प्रदान कर सकता है।
आज सरकार और समाज के अथक प्रयासों से नारी शिक्षा और नारी चेतना बहुत हद तक जागृत हो चुकी है और आज की नारी पहले की तुलना में कहीं ज्यादा साक्षर, सशक्त और जागरूक है।


आज हर परीक्षाफल में हम पाते हैं कि नारियों का स्थान पुरुषों से ऊपर रहता है। उत्तीर्ण होने वाले छात्रों में नारियों की संख्या ना केवल ज्यादा है बल्कि सर्वोत्तम अंक लाने वालों में भी नारियों की संख्या बहुत ज्यादा है। ऐसा करके ना केवल एक नवीन राष्ट्र का निर्माण हो रहा है बल्कि इसका समग्र विकास भी हो रहा है।

नारी जब तू सशक्त है 
तो सशक्त है यह राष्ट्र,
 मन में है विश्वास अब,
 कर तू अथक प्रयास।



44 comments:

  1. बहुत अच्छा लेख । 👍

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  2. 🌹👌🌹 नारी शिक्षा महिलाओं की समाज में सहभागिता हेतु आवश्यक ही नही अपितु अनिवार्य है। श्रीमती आरती द्विवेदी की रचना *नारी शिक्षा* आज के परिवेश में महिलाओं को पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने में सहायक होगा।शुभ कामनाएं।

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  3. Waah!!!!! very nice, kya baat hai

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  4. बहुत अच्छा मैडम 🙏🙏

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  5. Beautiful n empowering👍👍👍👍

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  6. Beautiful n empowering👍👍👍👍

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  7. बहुत सुंदर लेख।

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    1. 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
      Bahut acha likha hai bhabhi..
      😇

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  8. बहूत अच्छा लिखी हैं

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  9. I liked in particular the explanation about.....total education.....nice article.😊

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  10. There is a woman before every man..

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  11. This is such a important issue that aarti jas tackled. Àn educated woman is an educated nation. I hope this is read by the people in power and measures are taken towards promoting women's education

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  12. An educated woman has the skills, information and self-confidence that she needs to be a better parent, worker and citizen...
    A nicely written article ...
    Made my day ...

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  13. This comment has been removed by the author.

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  14. The above article" by Arti Dvivedi " is very informative and a great eye opener which can bring about an immense positive changes in our thought and our approach towards the society.

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  15. Your poetry is so powerful, you put into words exactly what I struggle to convey.(Awesome)

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  16. Very nice and informative article
    Keep writing your thoughts
    All good wishes
    S Upadhyay

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  17. This comment has been removed by the author.

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  18. Very Nice .... Beautifully written

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  19. शिक्षा हर किसी के जीवन का अभिन्न अंग है। बिना शिक्षा की किसी के भी जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। शिक्षण जीवन के हर पहलू को असर करता है। इस तरह शिक्षण स्त्री पुरुष दोनों का समान हक है। मगर भारत जैसे विकसित देश में स्त्रियों को शिक्षित बनाने के लिए कोई महत्व नहीं दिया गया है।
    इस निबंध के माध्यम से शिक्षा का नारी जीवन में क्या महत्व है ये उजागर करने का प्रयास किया है। आपका बहुत बहुत धन्यवाद

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  20. very nice and educational essay...the message sent through this is very important

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  21. Really very admirable thoughts..... A beautiful amalgamation of emotions with reality..... Clearly expressed in pure words and language......

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  22. Very nice 👌👌 very thoughtfully expressed n blended👍👍

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  23. Beautifully written ....and most expressive👍👍

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  24. बहुत अच्छा ।

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  25. Bahut he jeevant aur saccha varnan nari shiksha ke sthithi ka.

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  26. महत्वपूर्ण विषय पर सटीक लेख। अति सुंदर लेख।

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  27. महिलाए समाज के निर्माण की आधार होती है।नारी शिक्षा पर बहुत सुंदर विचार इस लेख के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने के लिए विशेष धन्यवाद।।

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  28. महिलाए समाज के निर्माण की आधार होती है।नारी शिक्षा पर बहुत सुंदर विचार इस लेख के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने के लिए विशेष धन्यवाद।।

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  29. very empowering essay...loved it

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