नारी शिक्षा - by Chandan Kumar "Savan"


KB Writers

शिक्षक दिवस लेखन प्रतियोगिता

प्रतियोगिता संख्या - 2

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प्रतिभागी का नाम -

Chandan Kumar "Savan"


शिक्षा !जैसे ही हमारे मन में शिक्षा शब्द आता है तो हम इस दुनिया को उम्मीद भरी नजरों से देखने लगते हैं, हम एक ऐसे समाज की कल्पना करने लग जाते हैं जहां जीवन के प्रत्येक आयाम जैसे -रहन-सहन, रीति-रिवाज ,कार्यशैली ,आपसी व्यवहार, बोली -भाषा ,जिंदगी को देखने और सोचने का नजरिया एक उच्च स्तर का हो !


हमारे समाज में लगभग 48 फ़ीसदी महिलाएं हैं ! जिनको अपने जीवन में सफल होने के लिए और एक सफल समाज की स्थापना हेतु अपना योगदान देने के लिए उनका शिक्षित होना अति आवश्यक है !


महिलाओं की शिक्षा यानी  "नारी शिक्षा " जो कि हम सबका ,हमारे समाज ,हमारे देश का नैतिक दायित्व है कि महिलाओं को मौका दें उनका सहयोग करें ताकि हमारे घर की बहू बेटियां पढ़ लिखकर स्वावलंबी बने और अपने जीवन को नई दिशा दे सकें !


नारी शिक्षा के क्षेत्र में सबसे अहम मुद्दा नारी सुरक्षा है ,क्योंकि आए दिन स्कूल ,कॉलेज ,बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन आदि  तमाम जगहों पर महिलाओं के साथ हो रहे बुरे बर्ताव की घटनाएं सामने आती रहती हैं ! नारी शिक्षा को आगे बढ़ाने से पहले हम सब को यह सोचना होगा कि हमारे घर में भी बहन -बेटियां ,बहुए  हैं और अगर उनके साथ कोई बुरा व्यवहार करें तो हमें कैसे लगेगा ? हमारी सरकार ने इस क्षेत्र में कई ठोस कदम उठाए हैं पर हमें भी आगे आना होगा और अपने नैतिक कर्तव्यों का पालन करना होगा !


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किसी भी समाज की वास्तविक सुदृढ़ नीव शिक्षा ही होती है  ,जिस पर जीवन के कई सुंदर इमारतें खड़ी की जा सकती हैं , पर ध्यान रहे शिक्षा के साथ संस्कार भी जरूरी है क्योंकि अगर शिक्षा किसी पौधे का पुष्प है तो संस्कार उसकी जड़ें और बिना जड़ से किसी भी पौधे का कोई अस्तित्व नहीं !


हम अक्सर अपने देश में ,समाज में कई सामाजिक मुद्दों को देखते हैं जिनमें नारी शिक्षा, बेटी बचाओ अभियान, दहेज प्रथा उन्मूलन और गरीबी उन्मूलन जैसे तमाम मुद्दे शामिल हैं !क्या हमने आपने कभी सोचा है ऐसा क्यों है ? क्यों आजादी के इतने वर्षों बाद भी हमारे देश में नारी शिक्षा, बेटी बचाओ अभियान दहेज प्रथा उन्मूलन आज सामाजिक मुद्दों की ज्यादातर बात होती है ? क्यों पुरुष बचाओ या पुरुष शिक्षा के बारे में बात नहीं होती है! शायद इसलिए कि चोट जहां ज्यादा लगती है दर्द और आह भी वहीं से ज्यादा निकलती है !


मैं यह नहीं कहता कि पुरुषों को शिक्षा का अधिकार नहीं, पर स्त्रियों को भी बराबर का अधिकार है !हम सबको यह जानना और समझना और इस पर अमल भी करना होगा ! हमारा यह समाज स्त्री और पुरुष दोनों के सामंजस्य से ही सही और सुचारु रुप से आगे बढ़ सकता है !


हमें इस समाज के दोनों पलड़ो को एक बराबर रखना है !यह हमें ध्यान रखना है कि कहीं कोई बहुत ऊपर या कोई बहुत नीचे ना हो ! थोड़ा बहुत ऊपर नीचे शायद चल भी जाए ,पर बहुत ज्यादा अंतर इस समाज को,  देश को एक गलत दिशा में ले जा सकता है और हम सब का यह दायित्व है कि हम इसके प्रति जागरूक एवं सचेत रहें !


 अगर आप और हम जमीनी स्तर पर विश्लेषण करें तो पाएंगे कि हमारे समाज में नारियों को हमेशा से ही दबाया जाता रहा है ! धर्म के नाम पर ,कभी समाज के नाम पर, तो कभी परिवार के नाम पर ! हमें इस बात को स्वीकार भी करना पड़ेगा कि  सच्चाई यही है ! क्योंकि जब तक हम अपनी गलती स्वीकार नहीं करेंगे तब तक उसे सुधारने का सफल प्रयास भी नहीं किया जा सकता !


मित्रों ,महिलाएं हमारे समाज का अमूल्य और अभिन्न अंग है !हमें एक- दूजे के साथ चलना है और बराबर का हक देना है ताकि हमारा समाज एक नई दिशा में अग्रसर हो सके!  हम अक्सर बातें तो करते हैं कि हमारे समाज में बेटे और बेटियों को एक समान अधिकार मिलना चाहिए  ! पर क्या हम अपने परिवार या समाज में इस बात को अपनाते भी हैं या  सिर्फ बातें ही करते हैं ! इस पर हमें और हमारे समाज को गहन विश्लेषण करने  की आवश्यकता है !


हमारे समाज में जब भी कभी नई चेतना ,नए समाज और "नारी शिक्षा "की बात आती है तो "सावित्रीबाई फुले" का नाम जरूर आता है क्योंकि उन्हें "भारत की प्रथम महिला अध्यापिका होने का गौरव प्राप्त है !" ज्योतिबा राव फुले उनके पति थे! जिस समय उनका विवाह हुआ उस समय वो सिर्फ 9 वर्ष की थी। उनमें पढ़ने- लिखने के प्रति अगाध श्रद्धा और रुचि  थी! 


शिक्षा के प्रति अपने रुचि  के चलते उन्होंने अनेक सामाजिक कष्टों को सहते हुए भी शिक्षा प्राप्त की ,और अन्य स्त्रियों को भी शिक्षा दिलाने के लिए हुंकार भरी ! उन्होंने कुछ औरतों के साथ मिलकर कन्या विद्यालय की शुरुवात की और धीरे-धीरे नारी शिक्षा के लिए अनेकों सराहनीय कार्य भी किए । उन्होंने अपना पूरा जीवन महिलाओं  की शिक्षा की लिए समर्पित कर दिया !


पाकिस्तान में जन्मी" मलाला यूसुफजई "ने भी महिला शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए और लगातार कर रहे हैं !शायद हम सब उस दिन को कभी ना भूल पाए जब मात्र 15 वर्ष की आयु में तालिबान के विरुद्ध आवाज उठाने पर उनके सिर में गोली मार दी गई ,पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी वह कई महीनों के इलाज के बाद ठीक हुई और फिर से नारी शिक्षा के प्रति समर्पित भाव से जुट गई !

उनके इन्हीं दृढ़ इच्छा और समाज के प्रति समर्पण भाव को देखते हुए उन्हें विश्व के सबसे प्रतिष्ठित सम्मान "शांति के नोबेल पुरस्कार" द्वारा 2014 में सम्मानित किया गया ! वह विश्व की सबसे कम उम्र (17 वर्ष) की नोबेल पुरस्कार विजेता बन गई !


हमें सावित्रीबाई फुले और मलाला युसूफ ही जैसे तमाम नारी शक्तियों पर गर्व है जिन्होंने देश और समाज को एक नई दिशा दी और विश्व स्तर पर नारी शिक्षा के राह प्रशस्त किए !


जहां एक तरफ हमारे देश की  वर्तमान समय में कई महिलाएं विश्व स्तर पर हर क्षेत्र में अपना मुकाम हासिल कर रही हैं और समाज के लिए प्रेरणा स्रोत  बन रही हैं !वहीं आज भी हमारे देश में ज्यादातर महिलाओं को उच्च शिक्षा का अवसर नहीं  मिल पा रहा है !बहुत सी बालिकाएं ऐसी भी हैं जो आज भी शिक्षा से वंचित हैं यहां तक कि प्राथमिक शिक्षा से भी! उन्हें यह कहकर कर घर में चूल्हा चौंका करने के लिए कह दिया जाता है कि शादी के बाद तुम्हें तो यही सब करना है ,पढ़ लिख कर क्या करोगी !जिसके लिए हमारी संकीर्ण और रूढ़िवादी सोच ही जिम्मेदार है !


हमारे समाज में कई ऐसे भी लोग हैं जो सोचते हैं अगर महिलाएं पढ़ लिखकर दफ्तर जाएंगी तो घर गृहस्ती कौन चलाएगा  !हम सबको ,हमारे समाज को इस दकियानूसी सोच से बाहर निकलना होगा कि घर चलाना सिर्फ महिलाओं का कार्य नहीं है !


 नारी शिक्षा के अभाव में कई बार स्त्रियों में कुछ ऐसी बीमारियां भी हो जाती हैं !जिनके बारे में उन्हें ठीक से पता नहीं होता और उसके बारे में हम बात करने में भी कतराते हैं और अज्ञानतावश उन्हें अपने प्राण गंवाने पड़ते हैं !


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आज भी हमारे समाज में मासिक धर्म के समय महिलाओं का मंदिर जाना या किसी शुभ कार्य में शामिल होना अपवित्र और धर्म के विरुद्ध माना जाता है जो कि बिल्कुल गलत और निंदनीय है !


 इस 21वीं सदी में वैज्ञानिक युग में ऐसी सोच हमारे समाज और देश के लिए अभिशाप है !


आज के वर्तमान आधुनिक युग में बिना नारी शिक्षा के एक सशक्त परिवार ,समाज और देश की कल्पना भी नहीं की जा सकती ! आज महिलाएं आर्मी ,एयर फोर्स, पायलट ,प्रोफेसर , वैज्ञानिक ,आई ए एस  ,पी सी एस,  ,कवयत्री ,अभिनेत्री ,राजनीतिज्ञ ,डॉक्टर , इंजीनियर और खिलाड़ी बनकर देश की तरक्की में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं !


 कल्पना चावला, साइना नेहवाल ,सानिया मिर्जा, पीवी सिंधु पीटी ऊषा, किरण बेदी ,चंदा कोचर, कमलजीत सिंधु हमारे ही देश की बेटियां हैं जो हमारे देश और समाज के लिए ही नहीं अपितु  पूरे विश्व के लिए प्रेरणा स्रोत बन रही हैं , जिसका मुख्य कारण इनकी शिक्षा ही है !


हमारे समाज में जब तक महिलाओं को पुरुषों के साथ बराबर का हक नहीं मिलेगा हमारा समाज, हमारा देश विश्व पटल पर सूर्य की तरह प्रकाशमान कैसे हो पाएगा ? तो आइए हमसब प्रण करें और अपने घर ,गांव, समाज से नारी शिक्षा की मशाल जलाएं और अपने परिवार, समाज और देश को शिक्षा की लौ  से प्रकाशित करें !



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