प्रभु राम अयोध्या आए - by Dr. Anurag Pandey
सौभाग्य सिंचित है वर्तमान का जनमानस,
भविष्य की धरा पर साक्षी कहलायेगा।
शुभारम्भ हुआ दिव्य निर्माण का हमारे सम्मुख,
भावी संततियों को गौरान्वित हो बताएगा।
दशकों का संघर्ष और असीम प्रतीक्षा,
आधारशिला है इस परालौकिक निर्माण की।
भव्यता से भी भव्यतम् की अभिलाषा से,
आहुतियां पड़ी बलिदाग्नि में प्राण कीं।
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दिवस 5 अगस्त बन अमरत्व तिथि,
प्रभु विराजमान हो,इस हेतु प्रथम प्रयाण है।
अवध में अवधेश की स्थापना से,
विश्व पटल पर अध्यात्म का उत्थान है।
हो सुसज्ज स्वर्णिम,कांतिमय ये अयोध्या ,
सकल ब्रह्माण्ड को अवगत करा रही है।
विनाश कलियुगी रावण व् राम राज्य स्थापना को,
जानकी राघव लखन सहित आ रहीं हैं।
रविकुलचंदन, हे रघुनंदन,नाथों के नाथ, प्रभु रघुनाथ,
नेत्र अधीर दर्श को,मस्तक विह्वल अवध रेनू के चंदन को।
मनोरथ पूर्ण हो आपकी परम पुनीत कृपा से,
'अनुराग' आ सके लखन,जानकी संग आपके वंदन को।
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