जिन्दगी - by Dr. Anurag Pandey
गम की शिकायत करते करते,
खुशियों के पल भूल गए।
आज मिला उसे जी नहीं पाते
कल के भंवर में झूल गए।
अपना मुकद्दर,अपने करम हैं,
दोष किसी को क्यों देते।
मिलता वही जो अपने हित में,
रो रो के जीवन खो देते।
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दर्द है औरों का कितना ज्यादा,
महसूस करो तब जानोगे।
कितने सुकून में तुम हो जिन्दा,
एहसान खुदा का मानोगे।
कितना हसीन ये जीवन सफर है,
हस-हस के जी भर के जियो।
रंजो गम का जहर मिले तो,
शौक से तुम उसको भी पियो।
जिंदादिली से जीने वालों,
याद करेगा तुमको जहाँ।
वरना तो हर रोज जगत में
आये गए कितने यहाँ।
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