जहर (लघुकथा) - by Ram Krishna Joshi


प्रीतम दुनियादारी से बहुत परेशान था। उसके मन में विचार आया  अब जिंदगी जीने का कोई मतलब नहीं है। आत्महत्या करने के कई कारण थे ।  उसके पास अच्छी नौकरी नहीं थी  बहुत कम सैलरी में वो अपने परिवार का अच्छे से पालन पोषण नहीं कर पा रहा था क्योंकि प्रीतम एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता है  जहां उसे कोल्हू के बैल की तरह काम करना पड़ता था ।  आत्महत्या करने का उसका सबसे बड़ा कारण था दोनों पति पत्नी में आपस में ना बनना ।  


क्योंकि प्रीतम अपने परिवार की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रहा था। प्रीतम पर बड़ी जवाबदारी थी । वृद्ध माता-पिता दो बच्चे सैलरी कब आती थी और कब चली जाती थी पता ही नहीं चलता था ।  धीरे धीरे प्रीतम अंदर से टूट चुका था।  कहते हैं ना पैसा अगर इंसान के पास पर्याप्त मात्रा में हो। उसकी 95% समस्याएं हल हो जाती है ।  35 साल का प्रीतम डिप्रेशन के गिरफ्त में आ चुका था।  वो आखरी बार कब मुस्कुराया था उसको मालूम नहीं है ।  प्रीतम ने तय कर लिया था दुनिया को अलविदा कहने का  कीटनाशक की दुकान पर जाकर उसने  फूलों पर स्प्रे करने वाली दवाई ली  जो बहुत ही फास्ट जहर माना जाता है ।


प्रीतम को दवाई खरीदते हुए उसी के ऑफिस में काम करने वाले वर्मा जी ने देख लिया  । वर्मा जी को समझने में बिल्कुल भी देरी ना लगी   क्योंकि प्रीतम कभी कभी उनसे अपने दिल की बातें कह दिया करता था ।  वर्मा जी प्रीतम को अपनी बाइक पर  बैठा कर घर ले गए।

एक सोफे पर बिठाकर वर्मा जी ने प्रीतम से कहा बहुत जल्दी है तुम्हें मरने की।  प्रीतम वर्मा जी के सामने फूट-फूट कर रोने लगा। वर्मा जी ने सिर्फ चंद शब्दों में अपनी बात प्रीतम से कहीं ।   


तुम मेरे बेटे के समान हो मेरा फर्ज है तुम्हें समझाना

मरने से पहले दो काम जरूर करना  पहला काम ।  तुम्हारे बच्चों को पहले जहर देना  इसके बाद तुम्हारे बूढ़े मां बाप को जहर देना  कंफर्म हो जाए ये मर गए । इसके बाद तुम जहर खाना   क्योंकि तुम तो मरोगे ही सही   अपने बच्चे और बूढ़े मां बाप को जिंदा ही मार जाओगे तुम ।  तुम्हारे बच्चे सड़कों पर भीख मांगेंगे  तुम्हारे मां बाप भी बुढ़ापे में भीख मांगेंगे  और तुम्हारी पत्नी सबको छोड़कर भाग जाएगी  ।   कहते-कहते वर्मा जी का गला भर आया:-- प्रीतम मेरे बच्चे समय एक जैसा नहीं रहता "


वर्मा जी की बात सुनकर प्रीतम वर्मा जी से लिपट कर रोने लगा ।  इसके बाद उसने संकल्प किया आज के बाद में इस प्रकार के विचार भी मेरे मन में नहीं आने दूंगा  एक नए उत्साह के साथ प्रीतम अपने घर की ओर चला गया  ।    


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