भारतीय संस्कृति - by Ranjana Dwivedi
भारत की सांस्कृतिक धरोहर विश्व विख्यात है । हमें अपने भारत पर गर्व है,क्योंकि हमारे भारत ने ही दुनिया को सभ्यता ,आध्यात्म ,ज्ञान और कर्म का संदेश दिया है । भारत की सभ्यता और संस्कृति पुरातन संस्कृतियों में गिनी जाती है । आज गर हम विश्व की बात करें तो लगभग संसार की सभी संस्कृतियां विलुप्त होती नजर आ रही हैं । परंतु भारतीय संस्कृति समय के साथ- साथ अद्यतन अपनी महानता और उत्कृष्टता का शंखनाद कर रही हैं ।भारत को विविधता का देश कहा जाता है,तो स्वभाव गत यहां की संस्कृति भी भिन्न- भिन्न होंगी । भारत में बहुरंगी संस्कृति है,जो अनेकता में समाहित एकता का प्रतीक हैं और यह हजारों वर्षों से विद्यमान है ।जिस प्रकार अलग- अलग फूलों को पिरोकर एक सुंदर माला बनता है,उसी प्रकार अलग- अलग धर्म, जाति,संप्रदाय के लोग आपस में जुड़कर एक सुंदर परिपुष्ट संस्कृति रूपी माला बनाते हैं । जो हमारे भारत की पहचान है ।
इसे देख ऎसा प्रतीत होता है मानो भारत रूपी उपवन में जाति,धर्म, भाषाएं, संप्रदाय रूपी भांति- भांति के फूल, रंग- बिरंगी तितलियां अपनी सुन्दरता और महक से इस उपवन की शोभा बढ़ा दी है । ऐसा मनमोहक सौंदर्य, संस्कृति,सभ्यता और प्राकृतिक छटा को देख ना केवल हम देशवासियों के अपितु संसार के अन्य लोगों के मुख से भी यही बात निकलती है कि भारत की संस्कृति का कोई सानी नहीं ।
भारतीय संस्कृति एक ऐसा महासागर है जिसमे भिन्न- भिन्न जाति, धर्म, संप्रदाय रूपी नदियां मिलती आई है जो इसके अस्तित्व को सहेजकर रखा है । समय- समय पर मानव हो या प्रकृति इस पर अत्याचार भी किए हैं किन्तु यह कभी अपने लक्ष्य से विचलित नहीं हुआ। समयानुसार अनेकों संप्रदाय और साम्राज्य का विकास और पतन हुआ है किन्तु भारतीय संस्कृति डगमगाई नहीं यथावत अपने स्वरूप में जीवित रही ।
सिंधु सभ्यता हो या वैदिक युग, मध्य युग हो या आधुनिक युग हमारी संस्कृति सदैव से एक अमिट छाप बनाती आई है । आधुनिकता की चादर ओढ़े आज जब दूसरे देश अपनी संस्कृति को सुविधानुसार तिरोहित करते चले गए,तब वही भारत की संस्कृति हर युग,हर काल में और अधिक पुष्ट होती चली गई और यही कारण है कि विभिन्नताओं में एकता का स्वरूप लिए भारत आज भी विश्व गुरु के रूप में स्थापित है और आगे भी रहेगा ।
भौगोलिक दृष्टि से भारत का स्वरूप भी अत्यंत रोचक है । कहीं पर्वत है तो कहीं पठार, कहीं समतल भूमि तो कहीं मरुभूमि । इस विविधताओं में भी एक समरसता है । एक तरफ हिमालय का शिखर जो भारत का शिरोताज है वहीं दूसरी तरफ कन्याकुमारी इसके पांव पखारती है ।ऐसा मनभावन, रमणीय और अनुपम दृश्य भारत के अलावा कही अन्यत्र नहीं हो सकता ।
भारत वहीं भूमि है जहां महान वीर, महापुरुष, साधु- संतो का जन्म हुआ, जिनकी शक्ति और ज्ञान ने भारत को चरमोत्कर्ष पर पहुंचाया । यह वही धरा है जहां पर महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, महारानी लक्ष्मीबाई आदि वीरो ने अपने प्राणों की आहुति देकर भारत के पावन भूमि को और पवित्र बना दिया । बौद्घ धर्म, जैन धर्म, इस्लाम, ईसाई विभिन्न धर्मों को भारत ने अपने में आत्मसात किया। यह सभी धर्म यहां आकर फले फूले है।
आज भारत की संस्कृति संसार का आइना बन चुकी हैं। यहां जितनी जाति उतने धर्म है।सभी अपने- अपने धर्म, संस्कृति, परम्परा व रीति- रिवाज अपने अनुरुप मनाते हैं। यहां के लोग एक दूसरे की खुशियों में शामिल होते हैं। सभी को अपने धर्म को मानने की स्वछंदता है, जो कही और नहीं।आध्यात्म की दृष्टि से भारत का स्थान सर्वोपरि है।भारत अपने सामाजिक संस्कृति,आध्यात्मिक संस्कृति और राष्ट्रीय संस्कृति से सराबोर हैं।
महात्मा गांधी ने इस देश को अहिंसा का पाठ पढ़ाया और उसे संस्कृति से जोड़कर विनम्रता सिखलाई। इसका सबसे बड़ा प्रमाण हम देख चुके हैं कि कैसे उन्होंने अहिंसा और सत्य के बल पर अंग्रेजी कुशासन से मुक्त कराया। सामाजिक संस्कृति की गर बात करे तो आज भी भारत के लोग सामाजिक सम्बन्धों को बखूबी निभाते हैं। एक- दुसरे के प्रति प्रेम, उदारता, सहानुभूति,सहिष्णुता के भाव भरे हुए हैं ,जो वसुधैव कुटुंबकम् को चरितार्थ करता है।संयुक्त परिवार का प्रमाण आज भी भारत में विद्यमान हैं।
प्राचीन काल से ही भारत आध्यात्मिक भाव से परिपूर्ण रहा है। योग साधना, पूजा- पाठ में अग्रणी है। बड़े- बड़े ग्रंथ, वेद- पुराण इसी पावन भूमि की बेशकिमती रत्न है। राष्ट्रीय संस्कृति का अपना महत्व है, जो लोगो में देश- प्रेम की भावना भरती है। यहां के लोगों में देशभक्ति व देश के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाह करने का जो जज़्बा है वह अतुलनीय है।अपनी संस्कृति के लिए यहां के लोग अत्यधिक समर्पित है। कला, हस्तशिल्प,धर्म, त्योहार, मेले, नृत्य, खान- पान, रहन- सहन और वेशभूषा सभी संस्कृति का हिस्सा है।इतनी विविधता के बाद भी एकता का ऐसा प्रगाढ़ सम्बन्ध अपने आप में अद्वितीय है।
संस्कृति हमें जीवन जीने की कला सिखाती हैं। हमारे आंतरिक गुणों को विकसित कर हमें शिष्ट और विनम्र बनाती है,मानवता के भाव जगाती है।आधुनिकता के इस दौर में भले ही यहां के लोग आधुनिक हो गए हैं किन्तु मन और कर्म से सदैव अपनी संस्कृति का पालन किया है और करते रहेंगे। परंपरा,संस्कार, संस्कृति जो उन्हें विरासत में मिली है बकायदा उसे संभाला है।भारतीय संस्कृति का संबन्ध हमारे सोच और विचार से होता है। यह हमारे देश के जाति,धर्म,समुदाय की आत्मा है। प्रकृति की पूजा,नदियों,पेड़ आदि को देवता मान कर पूजा करने वाला भारत ही है,जो सृष्टि के प्रारंभ से लेकर आज तक अपने पौराणिक कथाओं और मान्यताओं को साकार किया हुआ है।जितने भी धर्म जाति की संस्कृतियों को भारतीय संस्कृति ने आत्मसात किया उतनी ही इसकी संस्कृति प्रगाढ़ता के चरमोत्कर्ष पर पहुंचती गई।
भारतीय संस्कृति भारत की आन- बान- शान है ,यह भारत की पहचान है जो पुरातन काल से लेकर अब तक अपनी उत्कृष्टता और महानता का परिचय पूरे विश्व को देते आया है । यही भारत और उसकी संस्कृति है जिसके सम्मुख संसार नत मस्तक है ।भारत में इतनी विभिन्नताओं के बावजूद सभी देशवासी आपस में मिलजुल कर रहते है,यहां एकता का निवास है।भारत का राष्ट्रगान एवं राष्ट्रगीत यहां की संस्कृति और नैतिक मूल्यों को प्रदर्शित करती है।प्राचीन काल से अब तक जो भी विषम परिस्थितियां भारत के समक्ष उपस्थति हुई है तब भी इसकी संस्कृति के बुनियाद को हिला नहीं पाई।
इस देश में जितने राज्य है उतनी ऐतिहासिक महत्व,उतनी संस्कृति,ये सब मिलकर भारत की संस्कृति और इतिहास को अजर- अमर बनाती है। परोपकार,सहिष्णुता,उदारता,प्रेम पराकाष्ठा,भाईचारा,विश्वबन्धुत्व की भावना लिए आज भारत समस्त देशों में अपना एक उत्कृष्ट स्थान बनाया है,जो ना केवल अपने देश अपितु विश्व में भी पूजनीय हैं।
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ReplyDeleteAdbhut lekhni
ReplyDeleteBahoot badhiya vichar aur lekh
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ReplyDeleteशानदार आलेख उम्दा विचार।
ReplyDeleteI'm fan of your writing skill ����
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ReplyDeleteअति उत्तम
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ReplyDeleteVery informative.
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ReplyDeleteAmazing write-up and useful ��
ReplyDelete"वसुधैव कुटुम्बकम" के महान विचारों से सृजित इस पावन धरा के सनातन संस्कृति के संबंध में रंजना दीदी आपने बहुत सुंदर व्याख्यान दिए हैं। भारतीय संस्कृति के प्रत्येक दर्शन का आपने बडी सहजता से उल्लेख किया है। इस कृति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteVery Nice Excellent work
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ReplyDeleteAnd very knowledgefull words
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भारतीय संस्कृति पर सुंदर अभव्यक्ति
ReplyDeleteअच्छे विचार
ReplyDeleteभारतीय संस्कृति की उत्तम व्याख्या
ReplyDeleteWow.... Bahut sundar likha mam aapne...
ReplyDeleteProud to be an Indian....
Bahut sundar
ReplyDeleteN.Awasthy
ReplyDeleteKeep it up ... beautiful explanation of indian culture.
Nice article mam.
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ReplyDeleteBohot shandaar
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ReplyDeleteVery adorable lines
ReplyDeleteBeautiful lines Mam...Well and truly Expressed about the Indian Culture....Keep Writing More Mam...😊😊
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