कोरोना काल में शिक्षक की भूमिका - by Ranjana Dwivedi


KB Writers

शिक्षक दिवस लेखन प्रतियोगिता

प्रतियोगिता संख्या - 2

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प्रतिभागी का नाम - Ranjana Dwivedi


प्राचीन काल में गुरु का अत्यधिक महत्त्व था। गुरु का दर्जा सबसे ऊपर था। एक साधारण व्यक्ति से लेकर बड़े- बड़े अधिकारी,मंत्री,राजा किसी का काम गुरु के बिना संभव नहीं था। प्राचीन समय में तो राजा महाराजाओं के राज्य में उन्हें उच्च पद पर प्रतिष्ठित किया जाता था,जो राष्ट्र के नीति निर्माता और मार्गदर्शक का कार्य करते थे।


शिक्षक क्या है ?

जो शिक्षार्थी के मन में सीखने की इच्छा जागृत करे,वह शिक्षक है।जो सरल भाषा में बड़े ही सहजता से सिखाता है,वह शिक्षक है।शिक्षक एक सच्चा मार्गदर्शक होता है। श्रेष्ठ गुरु गुणों से परिपूर्ण हो अपने कार्य को योजना के अनुसार सम्पन्न कर शिक्षार्थियों को लाभान्वित करता है। शिक्षक के आचरण,व्यवहार और उसके प्रत्येक क्रिया का प्रभाव उसके विद्यार्थियों पर पड़ता है,विद्यालय पर पड़ता और समाज पर पड़ता है।अत: अध्यापक राष्ट्र का निर्माता है। आज ऐसा समय आ गया है कि जो अधिकारी,मंत्री,राजा प्राचीन समय में गुरु के आने पर अपना स्थान छोड़ खड़े हो जाते थे,आज उसी गुरु को उनसे मिलने के लिए लंबी कतार में खड़ा होना पड़ता है।ये लोग यह भूल जाते है कि जिस मुकाम पर वो खड़े है या पहुंचे है वह किसी ना किसी शिक्षक की ही मेहनत है।


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            आज कोविड १९ नामक संकट ने शिक्षा का परिदृश्य ही बदल कर रख दिया है।इसके कारण देश में ऑनलाइन शिक्षा का चलन बढ़ गया है। शिक्षण की इस प्रक्रिया में तकनीक जुड़ गया है। शिक्षण का लक्ष्य इन्सान को सफल जीवन जीने के लिए सक्षम बनाना है ताकि वो खुद का, परिवार का, समाज का, देश का और मानवता का संरक्षक बन सके। इसमें शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों ही महत्त्वपूर्ण कड़ी है और दोनों का योगदान ही सफलता का परिचायक है।आज इस वैश्विक महामारी के संकट में भारत में शिक्षक और शिक्षार्थी एक नई चुनौती का सामना कर रहे हैं।


             गर देखा जाए तो कोविड १९ मानव को जीने का नए रास्ता दिखाने,मानवीय क्षमता विकसित करने तथा स्वयं के जीवन को नई दिशा प्रदान करने हेतु प्रेरित करता है।इस विषम परिस्थितियों का सामना करने के लिए शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों ही विवश है। कोरोनावायरस ने तो शिक्षण,अधिगम एवं मूल्यांकन की दिशा ही बदल दी है।देखा जाए तो यह एक औद्योगिक क्रांति ही तो है।यह तकनीकी बनावटी (कृत्रिम), बुद्धिमता, रोबोटिक्स जिसका असर हमारे पाठयक्रमों पर पड़ रहा है। छात्रों को इन तकनीकों के बारे में पढ़ाना,सीखना और इस क्षेत्र में सकारात्मक दृष्टिकोण उत्पन्न करना है।


         वर्तमान परिवेश में कोरोनावायरस जब भयावह रूप धारण कर लिया है तो यह आवश्यक हो गया है कि डिजिटल तकनीकी का उपयोग और नए तरीके अपनाकर छात्रों को शिक्षण प्रक्रिया से जोड़कर रखें।आज दुनिया में अनुमानत: ९० प्रतिशत छात्र कोरोनावायरस से प्रभावित हुए हैं।युनेस्को के रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा पर कोरोनावायरस के असर को रोकने के लिए स्कूल, कालेज बन्द कर दिए गए है।भारत में भी कोरोनावायरस का कहर बढ़ने से यहां भी स्कूल कॉलेज बन्द है। ये कोरोनावायरस लोगो का जीना मुहाल कर दिया है। स्कूल, कालेज बन्द होने से छात्रों के शिक्षण में कोई बाधा ना हो और उनकी शिक्षा सुचारू रूप से चलता रहे इसलिए आनलाइन शिक्षण की व्यवस्था समूचे देश में की गई है। भारत में भी आनलाइन शिक्षा पर विशेष ज़ोर दिया गया ताकि बच्चे शिक्षा से वंचित ना हो।आनलाइन शिक्षा की सफलता इंटरनेट कनेक्टिविटी पर निर्भर होती है। अत: शिक्षण में किसी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न ना हो इसलिए इंटरनेट कनेक्टिविटी को मजबूत बनाना आवश्यक है।कोरोनावायरस के कारण आनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में तेज़ी आ गई है,जिससे मोबाइल सबसे सहज माध्यम बन गया है।


आज कोरोनावायरस समूचे विश्व में अपना पांव पसार चुका है,सभी वर्ग के लोग किसी ना किसी रूप में उससे लड़ रहे है। डाक्टर,पुलिस सफाईकर्मी कोरोना वारियर के रूप में कार्यरत है।इस कोराना संकट में जहां डाक्टर , पुलिस तथा सफाईकर्मियों को  कोरोना वारियर के रूप में सम्मानित कर रहे हैं, उन पर फूलों की वर्षा हो रही है,चारो तरफ उनकी जय- जय कार हो रही है, वहीं दूसरी तरफ शिक्षक वर्ग जिसने इस संकट की घड़ी में भी शिक्षा के क्षेत्र में एक नए आयाम को अंजाम दे रहे हैं,उन पर किसी की नज़र नहीं पड़ती क्यो ? इस बात से कोई आपत्ती नहीं कि डाक्टर,पुलिस और सफाईकर्मियों को सम्मानित किया जा रहा है।उन्हें सम्मान अवश्य मिलना चाहिए,क्योंकि वे इस संकट के दौर में एक सच्चे योद्धा की भांति इस वायरस से लड़ रहे हैं।शिक्षक वर्ग भी इस संकट की घड़ी में शिक्षा शिक्षण शिक्षार्थी को एक कड़ी में जोड़े रखा है,उन्हें नज़र अंदाज करना उचित नहीं है।


           अद्यतन इस विषम परिस्थितियों में शिक्षक वर्ग इस महामारी में कार्यरत है। कोरोनावायरस के संकट में शिक्षकों ने एक ऐसी विधा को अपनाकर राष्ट्र के भविष्य बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है।जिस विधा को वो जानते नहीं थे,उनको इस विधा की समुचित जानकारी नहीं थी उस विधा को उसने सीखा है।आज समग्र दुनिया में आनलाइन क्लास की चर्चा है।इन्हीं शिक्षकों के कारण ही आज विद्यार्थी अपने शिक्षा को बिना किसी रुकावट के जारी रखे हुए है।इस संकट के समय में उन्होंने ना केवल मोबाइल, कंप्यूटर की जानकारी ली बल्कि उन विधा, उन विधियों को भी सीखा जिसके द्वारा दूर घरों में बैठे विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान की जा सके। शिक्षक जैसे- तैसे आनलाइन क्लास की प्रवीणता हासिल की है। यदि आनलाइन क्लास नहीं होती तो बच्चे इस कोरोनावायरस के महामारी में एक कोरी स्लेट रह जाते ।


         आज इस संकट में गर शिक्षण की प्रक्रिया बिखर जाती तो समाज और राष्ट्र की भयानक क्षति होती।आज शिक्षक आगे बढ़कर स्वेच्छा से आनलाइन क्लासेस लेकर मानवता का परिचय देते हुए मानवता के रक्षक बने हुए है।वह घर बैठे ही इस वैश्विक महामारी के काल में विद्यार्थियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें शिक्षा शिक्षा से जोड़कर रखा है और उच्च स्तर पर भी एक शिक्षक योद्धा की भांति इन विषम परिस्थितियों से लड़ रहे है।उसने आनलाइन क्लासेस को सजीव रूप में प्रस्तुत कर प्रत्येक घर को शिक्षालय बना दिया है। जहां पढ़ाई के साथ- साथ अन्य गतिवधियां भी कराई जा रही है,जिससे बच्चों के सर्वांगीण विकास में कोई व्यवधान उत्पन्न ना हो।पढ़ाई के साथ साथ अन्य गतिवधियां जैसे_सांस्कृतिक,बौद्धिक विकास के लिए प्रतियोगिता भी आनलाइन क्लास के माध्यम से शिक्षकों द्वारा कराई जा रही है। अत: शिक्षक भी कोरोनावायरस में एक अहम भूमिका निभा रहे हैं।


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            खेद इस बात की है कि इस संकट में सरकार बच्चे और स्कूल के बारे में तो विचार करती है किन्तु शिक्षक के बारे में कोई नहीं सोचता।आज स्थिति यह है कि आनलाइन क्लास लेते समय शिक्षिकाओं पर बच्चों व अभिभावकों द्वारा अभद्र टिप्पणियां की जा रही है। क्रोना वारियर या कोई सम्मान तो दूर की बात है,उल्टा आज शिक्षक लांक्षित और प्रताड़ित हो रहा है।फिर भी वह अपने कर्तव्यों का भली- भांति निर्वाह करता हुआ पूर्ण निष्ठा से कार्य कर रहा है।इस विषम परिस्थितियों में धैर्य से काम करने वाला शिक्षक वर्ग क्या एक सच्चा योद्धा नहीं है?




49 comments:

  1. बहुत सुन्दर

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  2. बहुत सुंदरअभिव्यक्ति शिक्षकों की मेहनत का।।

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  3. बहुत सुंदरअभिव्यक्ति शिक्षकों की मेहनत का।।

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  4. बहुत ही सुंदर लेख ��

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  5. बहुत ही सुंदर लेख 👌

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  6. बहुत ही सुंदर लेख 👌

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  7. बहुत सुंदर विचार और सटीक विश्लेषण
    डॉ प्रसन्न शर्मा

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  8. Very nice essay for teachers hard work and dedication.👌👌💐💐👍👍

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  9. उत्कृष्ट रचना

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  10. This comment has been removed by the author.

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  11. Excellent😍👌👌👌👌👌

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  12. Bahut hi acche shabdo ka prayog kiya h apne

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  13. सही पकड़े है ।

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  14. एक शिक्षक के जीवन मे क्या महत्व है। इसके बारे में बढ़ी सहजता से आपने लेख किया है।
    "गुरू जीवन नही होता साकार
    सर पर होता जब गुरु का हाथ
    तभी बनता जीवन का सही आकर
    गुरु ही है सफल जीवन का आधार।"

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  15. बहुत अच्छा विश्लेषण किया है आपने।

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  16. Mam you have wonderfully depicted the selfless hardwork and efficient of teachers..... Really appreciable content👌👌

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  17. Mam you have wonderfully depicted the selfless hardwork and efficient of teachers..... Really appreciable content👌👌

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