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शिक्षक दिवस लेखन प्रतियोगिता
प्रतियोगिता संख्या- 2
Sponsored by LyricsTrackz
प्रतिभागी का नाम - Rishi Dixit
एक महान व्यक्तित्व जिसके मुख से निकले और हाथ के लिखे हुए, एक एक अक्षर का ब्रह्मांड के समस्त जन सुनकर, पढ़कर, मन में धारण कर, उस अनुरूप कार्य कर, निश्चित उद्देश्य को प्राप्त करते हैं। जिनसे शिक्षा पाकर राम, अपने माता पिता की आज्ञा अनुसार, वन में जाना और उनका वन जाना श्री मर्यादा पुरुषोत्तम राम। यह सब शिक्षक के द्वारा प्रदान की गई शिक्षा के अनुरूप ही था, जिसके द्वारा हर परिस्थिति में जीवन को सुचारू रूप से चलायमान रख, प्रसन्न चित्त होकर और अपने सत्यमार्ग से कभी ना भटकना शामिल होता है। 16 कलाओं का ज्ञाता, जिनके द्वारा भगवान श्री कृष्ण, सभी कलाओं में पारंगत हुए। भिक्षा से लेकर कठिन परिश्रम तक, सीखने में रुचि और बहुत कुछ अन्य गुरु के माध्यम से सिखाया जाता है। गुरु के ज्ञान के अलावा परमात्मा से मिलन का कोई दूसरा रास्ता नहीं है, शिक्षक त्याग, बलिदान और विश्वास की परिभाषा है। जिसके शरीर में देवी मां सरस्वती का वास हो, उस गुरु को स्वयं ब्रह्मा, विष्णु, महेश ही पूर्ण रूप से परिभाषित कर सकते हैं। स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने अपने विद्यार्थी नरेंद्र नाथ दत्त को शिक्षित किया। विद्यार्थी ने अद्वितीय कार्यों द्वारा देश को सर्वोच्च स्थान पर पहुंचाया, फिर वे स्वामी विवेकानंद कहलाए (शून्य उपलब्धि)।
सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' से अलंकृत, भारत के द्वितीय राष्ट्रपति, डॉक्टर सर्वेपल्लि राधाकृष्णन के अभूतपूर्व योगदान के कारण शिक्षक की पहचान को पुनर्जन्म मिला। प्रतिवर्ष 05 सितम्बर को शिक्षक दिवस के उपलक्ष में जन्म दिवस मनाया जाता है। डॉक्टर साहब कहते कि शिक्षक हर परिस्थिति में डटकर सामना करता है, और सभी जन समुदाय को साथ में लेकर सही उद्देश्य के साथ मार्ग प्रशस्त करता है। सभी शिक्षक समाज डॉक्टर सर्वेपल्लि राधाकृष्णन के योगदान को नमन करता है। मनोविज्ञान के अनुसार कहा जाता है, शिक्षक सीखना और सिखाना दोनों साथ-साथ करता है, सीखना मां की गर्भावस्था से लेकर मृत्यु तक चलने वाली प्रक्रिया है। शिक्षक की सबसे बड़ी विशेषता यह कि पहले अपने आप को उस अनुरूप बना लेना जो दूसरों के सामने प्रस्तुत करते हैं, जिससे प्रस्तुतीकरण का मतलब सफल हो जाए। अनेक कलाओं में कुशल होते हुए, भिन्न-भिन्न (सम या विसम) परिस्थितियों में अनुकूल वातावरण बना लेना, जीवन का सही परिचय कराता है। समाज के भिन्न भिन्न रीति-रिवाजों और सामाजिक या आर्थिक परिस्थिति से निकल कर आए कच्चे घड़ो को, जांच परख के उपरांत, उनकी आवश्यकतानुसार शिक्षण की तैयारी करना बखूबी आता है, खेल खेल में आपसी वार्तालाप को आकर्षक बनाते हुए विषय को रोचक ढंग से प्रस्तुत करना, जिससे सुनने वाला सक्रिय अवस्था में हो सके।शिक्षक माता-पिता का किरदार भी तन मन से निभाता है, गुरु सरल, कठोर एवम् एक प्रेम का सागर भी है।
वर्ष 2019 माह दिसंबर से विश्व में कोरोना महामारी (कोरोनावायरस, कोविड-19) का आना, चीन के बुहान शहर से शुरू, इस महामारी की भारत में शुरुआत लगभग वर्ष 2020 माह फ़रवरी में हुई। महामारी को बढ़ता देख, कई संस्थानों को बंद करने के आदेश दिए गए। 13 मार्च 2020 का आखिरी दिन शिक्षण संस्थान का, जब कोरोना महामारी के कारण अवकाश घोषित किए गए। 14 मार्च 2020 से अब तक शिक्षण संस्थान नहीं खुल पाए हैं। इन महामारी के दिनों, शिक्षक की भूमिका दोगुनी हो गई है। पहले विद्यार्थी विद्यालय में एक जगह पर ही मिल जाते थे, अब विद्यार्थियों के साथ साथ, विद्यार्थियों से जुड़े समस्त जन को व्यवस्थित करना, बहुत ही मुश्किल काम जिसको शिक्षकों ने आसान बनाकर शिक्षा देना लगातार जारी रखा, कोई भी वाधा बीच में आने नहीं दी। विषय को अत्यधिक रोचक बनाते हुए जिससे कोई भी विद्यार्थी, मनोरंजन के साथ अपना ध्यान सही रास्ते पर बनाए रखें।
महामारी समय में बहुत बड़ा कार्य, बीमारी को दूर रखना, जिसमें कोरोना महामारी के अंतर्गत दिए गए निर्देशों का अनुपालन कराना सर्वप्रथम कार्य था। बचाव के उपायों को भली-भांति बताना, जिसके अंतर्गत आरोग्य सेतु एप, आयुष सुरक्षा कवच अन्य विषयों पर विस्तृत जानकारी देना, शिक्षको ने बहुत ही सुंदर प्रस्तुतीकरण करके समझाया कि इस बीमारी से न घबराते हुए, अनावश्यक घर से बाहर न निकलना, समय समय पर हाथ धोना, जरूरत पर बाहर जाते समय, मुंह नाक पर मास्क लगाना, समय समय पर गर्म पानी का सेवन करना। काढ़ा का प्रयोग भी समय समय पर सही मात्रा में करना, जिससे शरीर में आंतरिक शक्ति बनी रहे। सभी ने इसका अनुसरण भी किया, क्योंकि शिक्षकों की बात को सभी आसानी से समझ कर अपना लेते हैं।
सीखने की प्रक्रिया में कुछ शिक्षकों ने टच मोबाइल को पहले अच्छे से चलाना सीखा, कुछ शिक्षक नए थे, जिन्होंने पहली बार टच मोबाइल को अपने हाथ में लिया था, काफी मेहनत करने के बाद, बहुत सारी नई नई चीजों के बारे में जानकारी प्राप्त कर, विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को मोबाइल में लिए गए एप्स के माध्यम से जोड़ा गया। कोरोना काल की वजह से शिक्षक टच मोबाइल चलाना सीख गए, अगर सामान्य हालत होते तो शायद हाथ में पकड़ने और सीखने में अधिक समय लगता। ऑनलाइन माध्यम द्वारा जुड़ने के बाद, प्रतिदिन सर्वप्रथम सुरक्षा के उपाय बताए जाते, जिस प्रकार मोबाइल पर नंबर डालने के बाद बहुत सी आवश्यक बातें हमको सुनाई पड़ती हैं आजकल, फिर विषय आधारित शिक्षण कार्य कराया जाता। नया माध्यम होने के कारण विद्यार्थियों में शिक्षण के प्रति अधिक रूचि जागृत हुई, विद्यार्थियों में काफी जोश देखा गया, शिक्षकों ने भी विद्यार्थियों की रुचि अनुसार अधिक से अधिक समय प्रदान किया। विद्यार्थी किसी भी समय अपनी समस्या पूछ सकते हैं, और उसका हल प्राप्त कर सकते हैं। इस दौरान शिक्षकों का कार्य अत्यधिक सराहनीय है।
शिक्षक यह जानते है कि मोबाइल से पड़ने वाले कुछ दुष्प्रभाव भी हैं, आंख, गर्दन,मस्तिष्क और शरीर पर बहुत दुष्प्रभाव पड़ता है, इस कारण शिक्षक, विद्यार्थियों और उनके परिवारों को कुछ अच्छी आवश्यक जानकारियां देते हुए, सही प्रकार से मोबाइल का प्रयोग करना भी समय-समय पर अवगत कराते रहते है। अध्ययन के बीच में कुछ देर के लिए आराम करने को भी कहा जाता है। सर्वप्रथम स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर शिक्षा प्रदान किया जाना अतिउत्तम है। शरीर को शुद्ध, मजबूत करने के लिए बीच-बीच में योगा के कुछ नए तरीकों को बताया गया। इसे अपनाकर विद्यार्थी प्रसन्न चित्त होकर, ताजगी के साथ पुन: अध्ययन में ध्यान देने लगते है। शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़े स्तर पर नया प्रयोग समय के अनुसार सफल रहा। आजकल तकनीकी युग में यह बहुत आवश्यक है कि नए नए साधनों का सही प्रयोग कर आधुनिक विचारों के साथ अग्रसर हो सकते हैं, लेकिन प्रयोग सावधानीपूर्वक होना चाहिए।
कोरोना काल के दौरान मजबूरी में, दूर प्रदेशों से वापस अपने गांव आए हुए, जिनको प्रवासी मजदूरों के नाम से संबोधित किया जाता है, उन सब के लिए 14-14 दिन की अलग से व्यवस्था हेतु विद्यालयों में ठहराया गया। शिक्षकों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए, देशहित में, सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार, सामाजिक दूरी का पालन कराते हुए, अपनों की कोरोनावायरस (कोविड-19 बीमारी) से सुरक्षा करने हेतु, व्यवस्थित ढंग से व्यवस्था कराई। प्रत्येक मूलभूत सुविधाओं का ध्यान रखा गया, जिससे उनको कुछ भी तकलीफ ना हो। समय-समय पर प्रसन्न रहने के उपाय भी बताए जाते, जिससे वे अनावश्यक बातों को मन में ना लाएं।
जब सब कुछ स्थिर हो गया, लोगों के पास रोजगार की कमी हो गई, तो सरकार द्वारा प्रदान किए गए, आवश्यक सामान को लोगों तक पहुंचाने का कार्य भी शिक्षक को दिया गया। सभी के घर में खाद्यान्न पूर्ति बनी रहे, इसकी देखभाल भी शिक्षकों ने अपने ऊपर दायित्व लेकर निभाई। प्रत्येक घर के सदस्यों का डाटा तैयार कर, उसी अनुरूप राशन का वितरण बहुत बड़ी चुनौती थी।
14 मार्च 2020 से अब तक विद्यार्थियों का भी पूर्ण डाटा तैयार कर राशन का मूल्य निर्धारण भी शिक्षकों के माध्यम से कराया गया। यह इसलिए था, कि शिक्षक इस कार्य को आसानी से कर लेंगे और शिक्षक पर सभी को पूर्ण रुप से विश्वास और सभी को सही समय पर किसी चीज की कोई कमी ना हो। ऐसा ही हुआ शिक्षक ने अपना दायित्व पूरी ईमानदारी के साथ निभाया। शिक्षक ऑनलाइन अध्ययन के अलावा समाज को सुरक्षा प्रदान करने के लिए नए-नए प्रयोगों के माध्यम से अवगत कराते रहते हैं ।
गुरु बताता है कि समय भी एक अच्छा शिक्षक है, सीख अनुरूप व्यवहार करना अति उत्तम है। बहुत से लोगों के जीवन में पहली बार ऐसा समय आया, जब उन्होंने ऐसी महामारी को देखा। कितनी भी बड़ी विपत्ति हो घबराना नहीं चाहिए। हंसकर उसका सामना करना चाहिए। कोरोना काल से हम सब को बहुत कुछ सीखने को भी मिला है-
भारतीय संस्कृति का पुन: मान बढ़ा,
नमस्कार की मुद्रा का पुन: बोध हुआ,
परिवार में रिश्तो का पुन: जुड़ना हुआ,
वायु, नदियों का जल पुन: स्वच्छ हुआ,
स्वच्छता का अनु पुन: आगमन हुआ,
प्रकृति अनु नियमों का अपनाना हुआ।
हमारी भारतीय संस्कृति सदैव महान रही है। ऋषि-मुनियों द्वारा, बहुत से महाकाव्य, वेद, पुराण बनाए गए, जो हमारी संस्कृति को दर्शाते है। संस्कृति मय होकर, भारत विश्व गुरु बना था। समय-समय पर बहुत से बदलाव होने के कारण, हम अपनी संस्कृति को भूलते गए। कारण यही है, जिसकी वजह से विभिन्न प्रकार की समस्याएं, जिनमें बीमारियों या अन्य से हम निति प्रतिदिन घिरते जा रहे हैं। अपनी संस्कृति के अनुसार, नमस्कार द्वारा अभिवादन करना चाहिए। अतिथि का सत्कार भी शुद्धता के साथ होना चाहिए। प्रकृति के अनुसार चलकर जल और वायु को शुद्ध रखना चाहिए। प्रकृति को अनावश्यक छेड़ना नहीं चाहिए, नहीं तो विकराल परिस्थितियां पैदा हो जाती हैं। जैसा कि हम झेल रहे हैं। हमें फिर से अपनी भारतीय संस्कृति का मान रखते हुए, गुरुओं का सम्मान करते हुए उनके बताए रास्तों पर चलना चाहिए।
शिक्षक 'युधिष्ठिर और यक्ष' की वार्तालाप का उदाहरण भी देकर समझाते हैं, जब यक्ष के प्रश्न पूछने पर, युधिष्ठिर ने जवाब में कहा, प्रतिदिन आंखों के सामने कितने ही प्राणियों की मृत्यु हो जाती है, यह सब देखते हुए भी मनुष्य अमरता के स्वप्न देखता है। हम जानते है कि कोरोनावायरस (कोविड-19) से अब तक भारत में लगभग 27 लाख से अधिक केस (सक्रिय केस लगभग 7 लाख) जिसमें 52 हजार से अधिक मोतें हो चुकी है। बताए गए नियमों का पालन करना स्वयं और देशहित में अनिवार्य है।
कोरोना काल के प्रारंभ में, समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा, शिक्षकों से पूछे गए सवाल-
प्रश्न- ये कौन सी बीमारी है?
उत्तर - एक वायरस के द्वारा फैलने वाली बीमारी, जिसका नाम कोरोनावायरस ( कोविड-19) है।
प्रश्न- बीमारी का पता कैसे चलेगा?
उत्तर - जुकाम, खांसी, बुखार और सांस लेने में तकलीफ होने पर।
प्रश्न - यह बीमारी कैसे फैलती है?
उत्तर - बीमारी से ग्रसित व्यक्ति के संपर्क में आने से।
प्रश्न- बचाव के क्या उपाय हैं?
उत्तर- साबुन से बीच-बीच में हाथ धोना, जरूरत पर बाहर निकलते समय मुंह नाक पर मास्क लगाना, घर वापस आने के वाद शरीर को स्वच्छ रखना। आरोग्य सेतु एप और सुरक्षा कवच एप, अपने मोबाइल में रखना। ज्यादा जानकारी के लिए जरूरत पर 1075 पर फोन करना।
प्रश्न- हम वृद्धजन अपना समय कैसे व्यतीत करें?
उत्तर- टीवी पर बहुत सारे नए नए धार्मिक धारावाहिक आ रहे हैं, जैसे रामायण, महाभारत, कृष्णा देखकर आप समय व्यतीत कर सकते हैं।
प्रश्न - इस समस्या का कब हल होगा?
उत्तर - जल्द ही होगा, सकारात्मक सोच रखें, बचाव के उपाय करते रहें।
प्रश्न- केस बढ़ रहे हैं, इतना सब बाहर में क्यों खोला जा रहा है?
उत्तर - जीवन यापन करने के लिए यह बहुत जरूरी है, ऐसा ना होने पर भुखमरी हो सकती है, इस को ध्यान में रखकर, बहुत सोच विचार कर बाजारों और अन्य जगहों को खोला गया है।
प्रश्न- स्वास्थ्य प्रद योगा और व्यायाम कौन-कौन से हैं?
उत्तर- उम्र के हिसाब से अलग-अलग योगा और व्यायाम हैं, अनुलोम विलोम, ध्यान, सूर्य नमस्कार, कदमताल, हरे पेड़ों के सामने आंखों का घुमाना। समय-समय पर घर के अंदर जगह परिवर्तन, हंसना जरुर करें और भी बहुत कुछ है।
सभी को सकारात्मक सोच रखते हुए ऐसी परिस्थिति में अच्छे विचारों के साथ जीवन व्यस्त रह कर समय व्यतीत करने के बारे समझाया गया, जिससे कोई अप्रिय घटना घटित ना हो।यह कहा जा सकता है कि कोरोना संकट में शिक्षक की भूमिका बहुत ही अहम रही है।
Writer - Rishi Dixit
प्रश्नोत्तर द्वारा बेहतरीन लेख
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