बूढ़ी माँ बेटे से ( हिन्दी कविता ) - by Sudama
बूढ़ी माँ बेटे से :-
"चल बोल ही दिया है
तो कर ले हिसाब ,
प्रसव की चीखें ,
जो धोये तेरे उल्टी पिशाब ,
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नौ महीनों के परहेज,
वो कोख में सैकड़ो लाते,
तेरी नींद की खातिर की
अनगिनत काली रातें ,
तुझे तीखा न लगे,
सो हर निवाला खुद चीखा ,
ये तब की बातें है ,
जब तू बोलना भी न था सीखा,
मुवावजा उसे दे रहा
जिसने दे दी पूरी दौलत ,
मानो किरायदार दे रहा हो
मालिक को मोहलत,
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कुदरत का है इंसाफ
वक्त वक्त को दोहराएगा ,
जो जवानी में बोया है
वही बुढ़ापे में खायेगा "!
सुदामा की रोती हुई कलम से 🖋️...😥
Writer:- Sudama
From:- Raipur, Chhattisgarh (India)
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