आदर्श शिक्षक के गुण - by Sudha Jain
KB Writers
शिक्षक दिवस: लेखन प्रतियोगिता
प्रतियोगिता संख्या - 2
प्रतिभागी का नाम- Sudha Jain
सर्वप्रथम आदरणीय डॉक्टर राधाकृष्णन के चरणों में शत शत नमन वंदन अभिनंदन जिन्होंने शिक्षक के पद की गरिमा को नईपरिभाषा दी। अध्यापक शिक्षण प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण अंग है और अध्यापक के बिना शिक्षा की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक चला पाना असंभव है।
एक आदर्श शिक्षक वह होता है जो अपने शिक्षक पद के लिए अपने आप को समर्पित करता है। अपने पद की गरिमा को ध्यान में रखता है ,।
शैक्षणिक योग्यता :::::
आदर्श शिक्षक की शैक्षणिक योग्यता उत्तम होती है। उसकी व्यावसायिक योग्यता भी श्रेष्ठ होती है ।
उसका व्यक्तित्व जन हितकारी होता है, और वह अपनी शाला के विद्यार्थियों से पूर्ण आत्मीयता के साथ तारतम्य स्थापित करता है।
एक शिक्षक को शैक्षिक योग्यता से परिपूर्ण होना चाहिए ।उसके शैक्षणिक योग्यता उसके ज्ञान का निर्धारण करती है, और उसे अपने विषय का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए। एवं व्यवसायिक रूप से भी अगर वह प्राथमिक शाला या माध्यमिक शाला में है तो बीटीआई ,या बीएड M.ed होना चाहिए ।
एक आदर्श शिक्षक को अपने शिक्षक होने के पद को एक व्यवसायिक रूप में नहीं लेना चाहिए। उसकी रुचि और पूर्ण निष्ठा होना चाहिए। अपने अध्यापन कार्य को मात्र कमाई का साधन है अगर वह यह समझता है तो वह अध्यापक बनने के योग्य नहीं है।
एक आदर्श शिक्षक व्यवस्थित होता है ,अनुशासित होता है ,समय का पाबंद होता है। प्रार्थना में उपस्थित होता है, और स्कूल की समाप्ति के बाद ही विद्यालय छोड़ता है।
एक शिक्षक को कुशल वक्ता होना जरूरी है, अपने हृदय की बात अपने बच्चों को रुचि पूर्ण अच्छे स्तर और निश्चित अर्थ वाले शब्दों के साथ प्रयोग करने की क्षमता शिक्षक में होना चाहिए।
शिक्षक अपनी बात को प्रवाह पूर्ण तरीके से बोलने में समर्थ हो। बहुत जल्दी जल्दी भी नहीं बोले और उसकी बात विद्यार्थियों तक पहुंच पाए इस बात का पूर्ण प्रयास करना चाहिए।
छात्रों के प्रति प्रेम व सहानुभूति रखना आवश्यक है। एक शिक्षक का सिर्फ यह दायित्व नहीं है कि वह अध्यापन के प्रति रुचि रखें। उसे अपने विद्यार्थियों के साथ आत्मीय ,सहानुभूति पूर्ण संबंध रखना चाहिए विद्यार्थी जो भी प्रश्न पूछे उन प्रश्नों का उत्तर समाधान पूर्वक देना चाहिए, और किसी बच्चे की अगर कोई निजी परेशानी है ,तो वह भी पूछ कर शिक्षक को उसका हल निकालना चाहिए।
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शिक्षक का अच्छा स्वास्थ्य: :::
,शिक्षक, स्वस्थ होंगे तभी वह अपने संपूर्ण मानसिकता से अपने अध्यापन कार्य को निर्विघ्न रुप से कर पाएंगे। क्योंकि "स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है" अतः शिक्षक का शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ होना भी आवश्यक है।
चारित्रिक दृढ़ता
एक शिक्षक चारित्रिक रूप से दृढ़ होना चाहिए क्योंकि शिक्षक के चरित्र का प्रभाव विद्यार्थियों पर पड़ता है। अध्यापक को अपने विद्यार्थियों के समक्ष सदैव अच्छे रूप में प्रस्तुत होना चाहिए। शिक्षक का गलत एवं अनैतिक आचरण विद्यार्थियों पर गलत प्रभाव डालता है।
नेतृत्व शक्ति :::
एक अच्छे शिक्षक में नेतृत्व शक्ति होना चाहिए ।उसे अपने प्रत्येक विद्यार्थी की अभिरुचि का ज्ञान होना चाहिए, इसके साथ ही पाठ्य सहगामी क्रियाएं, किसी विषय में विचार विमर्श ,अनुशासन और विभिन्न विधाएं जैसे चित्रकला ,निबंध लेखन ,नृत्य कला, इन सब चीजों में भाग लेने के लिए बच्चों को प्रेरित करना चाहिए।
धैर्यवान:::::
एक शिक्षक को धैर्य रखना बहुत जरूरी है। बच्चे सीखते हैं, धीरे-धीरे सीखते हैं अतः हमें धैर्य पूर्वक बच्चों को नई-नई चीजें सिखाना चाहिए। और बात बात में गुस्सा नहीं करना चाहिए। बच्चे उन्हीं शिक्षकों को पसंद करते हैं जो उन पर गुस्सा नहीं करते हैं और प्रेम पूर्ण व्यवहार करते हैं।
विनोद प्रियता:::
एक शिक्षक विनोद प्रिय होता है। विनोद प्रिय शिक्षक विद्यार्थियों को बहुत पसंद आते हैं। शिक्षण करवाते समय थोड़े हास्य का वातावरण निर्माण करना और बच्चों से हंसते हुए रहना, और हर प्रश्न का जवाब हंसते हुए देना, प्रेम पूर्ण संबंध बनाना और कक्षा शिक्षण में रस एवं रुचि उत्पन्न करना आदि भी एक शिक्षक के लिए बहुत जरूरी है ।
आत्मसम्मान की भावना:::::
एक शिक्षक में आत्मसम्मान की भावना होना चाहिए ।एक अच्छा और प्रभावशाली अध्यापक वही है, जो विद्यार्थियों प्रधानाध्यापकों एवं अधिकारियों के सामने गलत बात के लिए नहीं झुके और अपने पक्ष को सच्चाई से रख सके, अगर वह आत्मसम्मान रखता है, तो वह एक आदर्श शिक्षक है।
संबंध स्थापित करने का गुण
एक आदर्श शिक्षक सभी लोगों के साथ अच्छे संबंध रखता है। परिवार में ,समाज में, और राष्ट्र में हर समस्या में, उसकी सहभागिता होती है। सभी के साथ प्रेम और सहयोग का व्यवहार रखता है। कभी भी कहीं संकट दिखता है तो वह अपने बुद्धि, बल और आर्थिक सहयोग के माध्यम से संकट का सामना करने में तत्पर दिखाई देता है ।
किसी प्रकार से निराशा में नहीं आता।
एक आदर्श शिक्षक अपने प्रधानाध्यापक प्राचार्य या अधिकारियों से अच्छे संबंध रखता है ।प्रेम पूर्ण व्यवहार रखता है और विद्यालय की होने वाली विभिन्न प्रकार की क्रियाओं में सफलता पूर्वक अपना योगदान देता है।
एक आदर्श शिक्षक अभिभावकगणों से अच्छा संबंध रखते हैं ,और अभिभावकों से निरंतर संपर्क में रहते हैं। बच्चों की समस्याएं माता-पिता को समय-समय पर बताते हैं, और समस्याओं के समाधान के लिए विचार-विमर्श भी करते हैं, और अपनी तरफ से जो भी सहयोग बन पड़ता हो, वह करते हैं।
एक श्रेष्ठ शिक्षक वही है जो अपने बालकों की व्यक्तिगत अभिरुचि को जान सके। उनकी कमजोरियों की पहचान कर सके और उन्हें स्नेह पूर्ण मार्गदर्शन से जीवंत करके उनके जीवन पथ को उज्जवल बनाने के लिए अपनी पूर्ण कोशिश करें । विद्यार्थियों के मनोविज्ञान को समझना एक आदर्श शिक्षक अपने बच्चों के मन को पढ़ पाता है उनके मन में चल रही बातों को समझ पाता है उनके मनोविज्ञान को समझ कर उनको सिखाने की दिशा में सदैव आगे बढ़ता है अतः शिक्षक को विद्यार्थियों का मनोविज्ञान समझना बहुत जरूरी है।
मैं सदैव कन्या शाला में रही अतः यही प्रयास करती हूं कि मेरी सभी बालिकाएं स्वच्छता, मासिक धर्म की स्वच्छता, किशोरावस्था की समस्याएं ,इन सब के बारे में जान सके, मैं उनका सदैव सदैव मार्गदर्शन करती हूं ,और यथासंभव उन्हें सहयोग भी करती हू।
एक शिक्षक को नई नई चीजें सीखने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए, क्योंकि ज्ञान एक ऐसी वस्तु है जो कि कभी भी पूरी नहीं होती। अगर हमें नई नई चीजें सीखने का शौक है तो हम हमारे विद्यार्थियों को भी नई दुनिया से जोड़ सकते हैं। हमारे -पूर्व राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन शिक्षाविद थे उसके बावजूद भी वे प्रतिदिन कुछ न कुछ नया सीखने की ललक रखते थे, और सीखते, । वह प्रतिदिन अंग्रेजी के पांच नए शब्द याद करते थे। इस बात से भी आदर्श शिक्षक प्रेरणा ले सकते हैं।
मैं उस समय की शिक्षिका हूं, जब टेक्नोलॉजी का प्रयोग नहीं था, लेकिन अब समय के साथ-साथ टेक्नोलॉजी से जुड़ना पड़ा और अपने ज्ञान को विस्तृत करना पड़ा। उसी की बदौलत आज कोरोना काल में भी मैं अपने विद्यार्थियों के जीवंत संपर्क में हूं ।अपनी छोटी-छोटी कहानियों के वीडियो बनाकर अपने विद्यार्थियों को भेज रही हूं। इससे उन्हें पाठ्यक्रम और पाठ्य तर गतिविधियों को सीखने में आनंद आ रहा है। मुझे भी सीखने में अच्छा लग रहा है, और नई तकनीकी से जुड़कर बहुत सी नई नई बातें स्वयं ने भी सीखी, और बच्चों को भी सिखाई। अगर एक शिक्षक में नई चीजें सीखने का जज्बा नहीं होगा, तो वह अपनी पुरातनपंथी सोच से बाहर नहीं निकल पाएगा और नए ज्ञान को अपने बच्चों तक नहीं पहुंचा पाएगा।
अतः एक शिक्षक को नई तकनीकी से परिपूर्ण होना भी जरूरी है।
हम देखते हैं कि जितने भी महत्वपूर्ण व्यक्तित्व हैं, चाहे वह गांधीजी हो, नेहरू जी हो, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम सरदार वल्लभभाई पटेल, रविंद्र नाथ टैगोर , इंदिरा गांधी ,सुषमा स्वराज ,जितने भी महत्वपूर्ण व्यक्ति हुए हैं, महापुरुष हुए हैं, उन सब के व्यक्तित्व के निर्माण में माता-पिता के अलावा एक अच्छे शिक्षक की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण है।
अगर मैं स्वयं का उदाहरण लूं तो देखती हूं कि मुझे अपने माता-पिता की शिक्षाओं के अलावा मेरे प्राथमिक विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय, एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों का मार्गदर्शन, स्नेह ,सहयोग मेरे हृदय में आज तक अंकित है, और उनकी प्रेरणा से ही मैं अपना शैक्षणिक कार्य अच्छे से पूरा कर पा रही हूं।
कोरोना काल में भी जो शिक्षक अपनी महती भूमिका निभा पा रहे हैं ,और इस संक्रमण के समय में भी राष्ट्र निर्माण, विद्यार्थी निर्माण में अपना 100% दे रहे हैं ,वह सभी आदर्श शिक्षक हैं।
आदर्श शिक्षक की परिभाषा कुछ शब्दों में नहीं दी जा शक्ति है। एक आदर्श शिक्षक को कुछ शब्दों में बांध पाना बहुत ही कठिन कार्य है।
उसका अपना संपूर्ण व्यक्तित्व, उसका आचरण ,उसका व्यवहार, उसके नेतृत्व क्षमता, उसके सीखने और सिखाने की क्षमता, उसका सहयोग पूर्ण व्यवहार, बच्चों के साथ उसका आत्मीय संबंध ,उसकी वेशभूषा, समाज में उसकी भूमिका, सब कुछ निर्भर करता है ।
एक आदर्श शिक्षक के रूप में वहीं शिक्षक आ सकते हैं जो अपना तन, मन, और धन अपने विद्यार्थियों के लिए देने के लिए दृढ़ संकल्पित रहते हैं।
कुशल ,चतुर ,नेतृत्व क्षमता वाला होना चाहिए।आदर्श शिक्षक को अपने समस्त उत्तरदायित्व का पूर्ण निर्वहन करना चाहिए। अभिव्यक्ति की क्षमता होना चाहिए, ताकि वह अपनी बात अपने विद्यार्थियों तक पहुंचा सके। किसी भी संकट के समय उसकी बुद्धि इतनी तीव्र होना चाहिए कि वह तुरंत निर्णय करके क्या करना है? यह सोच सके स्वयं की गरिमा रखते हुए सदैव सदैव यह भाव रखें कि" -मैं शिक्षक हूं, मैं शिक्षा की तस्वीर बदल दूंगा "भारत के विद्यार्थियों की तकदीर बदल दूंगा"।
एक शिक्षक के मन में सदैव यह भान हो कि मैं ही गुरु विश्वामित्र हूं, मैं ही गुरु वशिष्ठ हूं, मुझ में ही गार्गी, अनुसूया ,और चाणक्य समाए हैं। मुझे अपने देश का इतिहास बदलना है। एक आदर्श शिक्षक अपनी भूमिका मैं यह मानें कि मेरी भूमिका सबसे ऊंची है। मैं नर भी हूं, मैं नारायण भी हूं। संसार के समस्त महत्वपूर्ण ग्रंथ, बाइबल, कुरान ,रामायण सभी गुरु की महिमा से भरे हैं। अतः एक शिक्षक को ज्ञान का दीपक जलाकर, अंधेरी रात को उजाले में बदलना है।
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एक शिक्षक का पद लोकतंत्र को जीवित रखता है, ज्ञान को जीवित रखता है, और एक शिक्षक ही शिक्षित हिंदुस्तान को जन्म दे सकता है ।
शिक्षक में वह सामर्थ्य है कि वह सागर के जल को भी मीठा कर सकता है। आज हमारा देश, हमारी भारत माता, आशा भरी नजरों से शिक्षकों की ओर देख रही है ।हमारे देश के बच्चों का भोला बचपन अंधकार की राहों में भटक रहा है। हमें शिक्षक होने के नाते हमें प्रण लेना होगा कि हम हर बच्चे के हाथों की लकीर को बदल देंगे, क्योंकि हमारे हाथ में पूरे राष्ट्र ने बच्चों के रूप में अपना भाग्य ही हमें सौंप दिया है। हमारे ऊपर श्रद्धा और विश्वास है।
एक आदर्श शिक्षक वही है जो अपने विद्यार्थियों की तकदीर बदल सके और अपने भारत देश की तस्वीर बदल सके। आदर्श शिक्षक आपने प्रभावी शिक्षण से कई जेलों को बंद करवा सकता है।
सभी शिक्षकों को नैतिक गुणों से परिपूर्ण होना चाहिए ।शिक्षकों में कोई व्यसन जुआ, मांस, मदिरा पाउच खाना, अनैतिक आचरण करना ,बच्चियों के साथ अनैतिकता पूर्ण प्रस्तुत होना, यह सब हमारे शिक्षक के कर्तव्य पालन में एक बाधा हैं। अतः शिक्षक की "कथनी और करनी" एक जैसी होना चाहिए। शिक्षक को समस्त कुव्यसनों का त्याग करके अपने विद्यार्थियों के सामने एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। एक शिक्षक अपने दृष्टिकोण को उदार रखता है ,व्यापक रखता है, और वसुधैव कुटुंबकम की भावना के साथ आगे बढ़ता है । ईश्वर को प्रतिपल धन्यवाद देता है और धन्यवाद देना भी चाहिए, क्योंकि जब मैं स्वयं शिक्षक गरिमा से जुड़ी हुई हूं, तब मुझे महसूस होता है कि इस कोरोना संक्रमण में भी कई लोगों पर जब रोजगार का संकट आ गया है, कई लोगों को अपनी नौकरियां छोड़ना पड़ी, कई लोगों को अपने व्यवसाय में निराशा हाथ लग रही है ।बहुत ही संकट का समय है और इतना गहरा संकट है कि हमारा हृदय विदीर्ण हो जाता है। ऐसे समय में भी हमारे माता पिता गुरु ,और ईश्वर के प्रति हम नतमस्तक हैं कि हमें हमारी सैलरी प्रतिमाह मिल रही है, बगैर किसी व्यवधान के।
अतः अब तो हमारे एक शिक्षक के रूप में दायित्व और बढ़ जाते हैं, और हमें प्रतिपल ईश्वर के प्रति, शासन के प्रति, धन्यवाद देने का मन करता है, और सोचती हूं कि उन विद्यार्थियों को और क्या दूं ?
Very well explained.... 👌
ReplyDeleteThanks
DeleteNice explanation
ReplyDeleteVery well explained
ReplyDeleteश्रीमती सुधा जैन द द्वारा लिखित निबंध आदर्श शिक्षक के गुण बहुत ही उत्कृष्ट निबंध है और एक शिक्षक के सारे आदर्श गुण इस निबंध में समाहित है लेखिका ने बहुत ही सरल शब्दों में अपनी बात को स्पष्ट किया है। श्रीमती सुधा जैन मैं व्यक्तिगत रूप से जानती हूं रियल में भी वे एक आदर्श शिक्षिका है।
ReplyDeleteBharti jain ...thanks
Deleteश्रीमती सुधा जैन द्वारा लिखित निबंध आदर्श शिक्षक के गुण बहुत ही उत्कृष्ट निबंध है ।लेखिका ने एक आदर्श शिक्षक के सारे गुण इस लेख में लिख दिए हैं। लेखन बहुत ही सरल और स्पष्ट है, और इस लेख से मैं बहुत ही प्रभावित हुआ हूं।
ReplyDeleteबहुत सी सटीक. एक शिक्षक का चरित्र कैसा होना चाहिये ये इस लेख मेँ परिपूर्ण रूप से छलकता हैं.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteश्रीमति सुधा जैन जी ने न केवल शिक्षक बल्कि एक विद्यार्थी के दृष्टिकोण को भी बखूबी अपने शब्दों व भावनाओं में उकेरा है। एक गुणी शिक्षक ही स्वस्थ व मजबूत देश का निर्माण कर सकता है
ReplyDeleteसरल एवं सटीक शब्दों में शिक्षक की गुणों का बखान एवं उसकी महत्ता को आपने बड़े ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है आज के समय में शिक्षक और उसके कर्तव्य चरित्र को आपका यह लेख स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
ReplyDeleteThanks
Deleteइस लेख में एक शिक्षक के गुणों को बहुत ही सरल व् सटीक रूप लिखा गया है। इसे पड़ के में बहुत ही प्रभावित हुआ हु।
ReplyDeleteआदर्श शिक्षक कैसा हो,यह श्रीमती सुधा जैन ने बहुत ही अच्छी तरह से,शिक्षक के गुण दोष बतलाते हुए सरल शब्दों में समझाया हैं l श्रीमती सुधा जैन इसके लिए बधाई की पात्र है l
ReplyDeleteआदर्श शिक्षक कैसा हो,यह श्रीमती सुधा जैन ने बहुत ही अच्छी तरह से,शिक्षक के गुण दोष बतलाते हुए सरल शब्दों में समझाया हैं l श्रीमती सुधा जैन इसके लिए बधाई की पात्र है l
ReplyDeleteसरल भाषा शैली में प्रस्तुत आलेख बहुत सारगर्भित है, में आलेख पड़कर बहुत प्रभवित हुआ, निश्चित ही मेरे लिए अपने आप को इस अनुरूप बनने में सहायक होगा, बहुत अच्छी प्रस्तुति, श्रीमती सुधा जैन आपकी अनुकरणीय पहल के लिए साधुवाद।
ReplyDeleteसरल भाषा शैली में प्रस्तुत आलेख बहुत सारगर्भित है, में आलेख पड़कर बहुत प्रभवित हुआ, निश्चित ही मेरे लिए अपने आप को इस अनुरूप बनने में सहायक होगा, बहुत अच्छी प्रस्तुति, श्रीमती सुधा जैन आपकी अनुकरणीय पहल के लिए साधुवाद।
ReplyDeleteBht badiya shandar abhivyakti..
ReplyDeleteइस निबन्ध के माध्यम से एक शिक्षक का चारित्रिक एवम शेक्षिकगुणो का वर्णन बहुत सुंदर एवम सटीक शब्दो के द्वारा किया गया जो वास्तव में प्रत्येक शिक्षक को सही अर्थों में गुरु बनाता है इसके लिए लेखिका को बहुतबहुत बधाई
ReplyDeleteश्रीमती सुधा जैन द्वारा लिखा गया यह निबंध एक सच्चे शिक्षक के गुण को प्रदर्शित करता है इनके निबंध में वे सभी विषय वस्तु और पूरा क्रियाकलाप है इनके निबंध को आत्मसात करने से शिक्षक के सभी गुण स्वता ही समावेश हो जाते हैं इस निबंध को पढ़ने के बाद या इसका गहन अध्ययन करने के बाद निश्चित ही शिक्षक के चरित्र, व्यवहार और कर्तव्य में चार चांद लग जाते हैं निश्चित ही यह निबंध एक शिक्षक की समस्त गुणों को परिभाषित करते हुए उसके समस्त क्रियाकलापों को प्रदर्शित करता है
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिखा है सर आपने आपको बहुत-बहुत धन्यवाद
DeleteIt's my pleasure
DeleteVery nice
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteएक आदर्श शिक्षक कैसा होना चाहिए l इसकी जानकारी हमें श्रीमती सुधा जैन के इस लेख में मिलती है l
ReplyDeleteश्रीमती सुधा जैन ने शिक्षकों के गुण दोष बतलाते हुए लेख के माध्यम से आदर्श शिक्षक की पहचान करायी है l
वे बधाई की पात्र है l
मैं उनके उज्जवल भविष्य की कामना कर्तरता हूँ l
अपना अपना नाम लिख दीजिए कमेंट में एडिट करके
Deleteअद्भुत अविस्मरणीय बहुत बहुत बधाईया जैन मैडम
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सर आपकी प्रतिक्रिया के लिए
Deleteअद्भुत अविस्मरणीय बहुत बहुत बधाईया जैन मैडम
ReplyDeleteआपने बहुत अच्छे शब्दों का चयन करते हुए यह लेख लिखा है, बहुत सुंदर एवं सराहनीय प्रयास किया है। भविष्य में भी अच्छे लेख लिखते रहे।
ReplyDeleteशुभकामनाएं
एडिट करके कमेंट में अपना नाम लिख दीजिए सुंदर प्रतिक्रिया के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
Deleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteशिक्षक सामाजिक परिवर्तन में अच्छी भूमिका निभाता आया है|
वर्तमान परिदृश्य में एक आदर्श शिक्षक कैसा होना चाहिए पर एक सटीक टिप्पणी के रूप में लेख अति उत्तम है
ReplyDeleteनिबंध बहुत ही उत्तम तरीके से लिखा गया है एक आदर्श शिक्षक के सारे गुण कैसे होना चाहिए बहुत अच्छे से समझाया गया है लेखिका स्वयं भी एक आदर्श शिक्षिका है
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteसुंदर कोशिश है
ReplyDeleteनिबंध बहुत सुंदर है
ReplyDeleteनिबंध बहुत उत्कृष्ट है दिलीप कुमार जैन धार
ReplyDeleteबहुत सरल व सटीक शब्दों में आपने एक आदर्श शिक्षक के सभी गुणों का वर्णन किया है| इन गुणों से संपन्न शिक्षक ही भावी पीढ़ी का मार्ग प्रशस्त कर समाज व राष्ट्र के उत्थान में सहयोगी होगे | इस श्रेष्ठ कृति के लिए बहुत बहुत बधाई व धन्यवाद|
ReplyDeleteअपना कमेंट एडिट करके आपका नाम जरूर लिख दो कमेंट काउंट हो जाएगा सुंदर प्रतिक्रिया के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
DeleteV K Kumariya
DeleteWell written mam .Neena Tiwari
ReplyDeleteएक आदर्श शिक्षक के सभी गुणों का वर्णन बहुत ही सुंदर शब्दों में किया है इस सुंदर लेख के लिए बहुत बहुत बधाई व धन्यवाद|
ReplyDeleteNamita
एक आदर्श शिक्षक के सभी गुणो को बहुत ही सुन्दर ढंग से दर्शाया है इस सुंदर लेख के लिए बहुत बहुत बधाई और धन्यवाद
ReplyDeleteमेडम आपने एक शिक्षक पर बहुत ही सुंदर लेख लिखा है पढ़कर दिल को बहुत खुशी हुईं मेरा ख्याल है आपमें वह सारे गुण है जो एक शिक्षक में होना चाहिए आप हमेशा खुश रहे और ऐसे ही सुन्दर सुन्दर लेख लिखते रहे में भी एक शिक्षक हु मुझे भी अपने शिक्षक होने पर गर्व है आपको बहुत बहुत बधाई मेडम शुक्रिया
ReplyDeleteधन्यवाद मैडम आप अपने प्रतिक्रिया को एडिट करके अपना नाम लिख देना तब वह काउंट हो जाएगी बहुत-बहुत धन्यवाद मैडम
Deleteसुन्दर,सटीक व सारगर्भित अभिव्यक्ति
DeleteShaista khan
DeleteWell written 👌👌
ReplyDeleteInspiring blog
ReplyDeleteIndu rajput
श्रीमती सुधा जैन द्वारा लिखित निबंध बहुत ही सटीक और सरल शब्दों में परिभाषित किया गया है इस निबंध में वह सारी बातें हैं जो एक शिक्षक में होना चाहिए बहुत सुंदर लेख लिखा है आपने आप ऐसे ही निरंतर लेख लिखते रहें इन्हीं आशाओं के साथ
ReplyDeletevery nice 😊
ReplyDeletevery nice.....maya raghuwanshi
ReplyDeleteThanks dear Maya
Deleteआपके सरल शब्द ,उत्कर्ष शैली एवं भाषा पढ़ने में आकर्षक लगते है ।आपकी कहानियों के साथ ही निबंध भी बहुत अच्छे है ।आप हर क्षेत्र में अच्छी भूमिका निभा रही हो ।
ReplyDeleteShaista khan
ReplyDeleteसरल,सुस्पष्ट, अद्भुत और अप्रतिम
ReplyDeleteशिक्षक राष्ट्र निर्माता होता है सफल राष्ट्र में शिक्षक की भूमिका का yogda है
ReplyDeleteV K Kumariya Principal
ReplyDeleteAugust 26, 2020 at 8:26 PM
बहुत सरल व सटीक शब्दों में आपने एक आदर्श शिक्षक के सभी गुणों का वर्णन किया है| इन गुणों से संपन्न शिक्षक ही भावी पीढ़ी का मार्ग प्रशस्त कर समाज व राष्ट्र के उत्थान में सहयोगी होगे | इस श्रेष्ठ कृति के लिए बहुत बहुत बधाई व धन्यवाद|
सुंदर प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सर
DeleteThanks to all of you for your beautiful comments ...I am very grateful to all of you...
ReplyDeleteआपके सुंदर और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए आप सभी सभी को हृदय से धन्यवाद देती हूं आप सबका सहयोग एवं स्नेह है जो आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है सदैव आपके इसी प्रकार के स्नेह की अभिलाषी हूं
ReplyDeleteExllent
ReplyDeleteThanks mam
Deleteसारगर्भित शब्दों में बहुत अच्छी बात कही है। वाक्य में एक शिक्षक ही देश और समाज का मार्गदर्शक तथा निर्माता होता है ।बहुत बढ़िया
ReplyDeleteआप में से जो भी कमेंट करें वह अपना नाम जरूर लिख देंगे क्योंकि अननोन कमेंट काउंट नहीं होंगे स्वयं का नाम लिखना जरूरी है
ReplyDeleteआप जो भी कमेंट करें अपना नाम अवश्य लिख देना बगैर नाम के अननोन कमेंट अकाउंट नहीं होंगे अतः कृपया स्वयं का नाम अवश्य लिख देवे
ReplyDeleteआज हम बिज़नस, राजनीति और समाज में जो कुछ भी देख रहे है वो सभी शिक्षकों से प्रभावित हैं। बहुत अच्छा निबंध है।
ReplyDeleteThanks
DeleteToo good and very well written by Sudha jain Dhar...
ReplyDeleteHow in simplest form she explained everything..
Way of writing is so simple that everyone can understand easily..
About dr. We got to know everything.
Happy teacher's day
थैंक्स डॉक्टर सृष्टि सराफ सिसोदिया आपने बहुत ही सुंदर तरीके से अपनी प्रतिक्रिया जी आपको बहुत-बहुत धन्यवाद। सुधा दिलीप जैन
Deleteअत्यंत सुंदर,शानदार लेख हेतु महोदया को हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDelete-देवेन्द्र पुरोहित शिक्षक ड़ही
Thanks sir
Deleteबहुत ही अच्छा लिखा है तुमने . अच्छे शिक्षक की यही सोच और विचार होने चाहिए . तभी समाज और देश को अच्छा नागरिक मिल सकेगा Manjula Modi
ReplyDeleteआदरणीय सुधाजी जैन मैडम द्वारा आदर्श शिक्षक के गुणों का सांगोपांग चारित्रिक विशेषताओं को दर्शा कर शिक्षक की महिमा को आपने "गागर में सागर की उक्ति को"चरितार्थ किया है। वर्तमान युग में आपके द्वारा उल्लेखित आदर्श शिक्षक के गुणों को यदि प्रत्येक शिक्षक द्वारा अंतर्मन से अपना लिया जाए तो वर्तमान "शिक्षा नीति 2020" में शिक्षकों के लिए राष्ट्र निर्माण में यह मील का पत्थर साबित होगीl .
ReplyDeleteएस.एल.जैन (उच्चतर माध्यमिक शिक्षक)
बहुत सुंदर प्रतिक्रिया बहुत-बहुत धन्यवाद
Deleteशिक्षा शिक्षक और विद्यार्थी मिलकर एक सशक्त राष्ट का निर्माण करते हैं ।व्यक्तित्व विकास में शिक्षा की महती भूमिका हैं और इसी के आधार को निबंध में बहुत ही सुंदर तरीके से सरल एवं सारगर्भित शब्दों में श्रीमति जैन ने व्यक्त किया है ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सुंदर प्रतिक्रिया के लिए
Deleteबहुत खूब 👌
ReplyDeleteBahut sundar nibandh👌
ReplyDeleteथैंक्स परिधि thanks Sarthak
ReplyDeleteसरल सहज सारगर्भित शब्दों की माला में आदर्श शिक्षकों के गुणों का वर्णन कर,निबंध को चार चांद लगा दिए।श्रेष्ठ कृति की बधाई मैडम।
ReplyDeleteThanks mam VD....
ReplyDeleteबहुत हि सुंदर।
ReplyDeleteबहुत हि अच्छा लिखा है।
ReplyDeleteThanks
Deleteबहुत-बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteNice Article
ReplyDeleteNice ArticlE sakina jinvala
ReplyDelete