महेंद्र सिंह धोनी ( Mahendra Singh Dhoni ) पर कविता - by Shubhasish Pattanayak
यादों की द्वारे से ना वो जा पाएगा।
मन के झरोखे पर सूरज सा दिखेगा।
एक दौर था जब वो भी गैर सा लगता था,
अब तो मन आंगन में अपना सा बसेगा।
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जीत की कहानी को वो था जो लिखता था।
हार के कब्जे से जीत को लाता था।
लाखों करोड़ों ने ख्वाब जो देखे थे,
वो था जो बुनता था सच कर दिखा ता था।
ना कोई आया है ना कोई आएगा।
जो उसके बल्ले सा कम्पन कर पाएगा।
गूंज था धार में उसके उस बल्ले का,
अब ना सुन पाएंगे वो अब ना आएगा।
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लाखों हे दुनिया में पर्वत सही मगर,
उसके संकल्प जैसा कुछ ना डट पाएगा।
वीरों में वीर वो वीर गाथा जिसके,
समय गाता जाएगा भारत सुनता जाएगा।
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