चिरैया - by Abhilasha "Abha" ( Nature, Bird, Sparrow, Poem )
ए री गौरैया......
ए री चिरैया...!
कहांँ चली गई मेरे मुंडेर से,
क्यों नहीं आती अब मेरे मुंडेर पे,
तुम्हारी याद बहुत आती है,
मेरे मन को बहुत तड़पाती है,
जो रखी थी पानी की लुटिया मैंने,
उसमें से पानी सूख गया,
जो चावल रखे थे तुम्हारे लिए,
उस चावल का दाना टूट गया,
ए री गौरैया......
ए री चिरैया.....!
लौट आओ अब, तुमको मेरी कसम,
तुम्हारे बिना मेरी बगिया है सूनी,
तुम्हारी आवाज़ बिना मेरा अंँगना सूना,
यादों के झरोखे जैसे मन में है गम,
दिल का दर्द अब आँखों में दिखता है,
चहचहाहट सुनने को तुम्हारी,
मेरा मन तरसता है........!
तुम तो बन गई हो बीती कहानी.......
क्या तुम्हारे बिना ही,
कटेगी अब मेरी जिंदगानी......
ए री गौरैया.......
ए री चिरैया.......!!!!
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