राही, मत मानो तुम हार - by Abhilasha "Abha"

 


राही, मत मानो तुम हार,

चलते जाना कर्म तुम्हारा,

मंजिल कर रही तुम्हारा इंतजार,

राही, मत मानो तुम हार।



सरिता की अविचल गति सा,

सूर्य की सुनहरी किरणों सा,

चलते तुमको जाना है,

राहों में आ जाएं कितने भी पत्थर,

नदी जैसा उसने रास्ता बनाना है,

राही, मत मानो तुम हार,

चलते जाना कर्म तुम्हारा,

मंजिल कर रही तुम्हारा इंतजार,

राही, मत मानो तुम हार।



आ जाएं कितनी भी बाधा,

पार करना है तुमको सब,

हिम्मत तुम्हें नहीं हारनी  है,

बाधाओं से राह निकालनी है,

अभी चल अभिराम चलना है तुमको,

ईश्वर का नाम जपते जाना,

तारणहार बना लो उनको,

राही, मत मानो तुम हार,

चलते जाना कर्म तुम्हारा,

मंजिल कर रही तुम्हारा इंतजार,

राही, मत मानो तुम हार।



आए कोई भी आंधी तूफान,

दे साथ तुम्हारा या ना दे कोई,

मन की गति को तुम थाम लेना,

साथ तुम्हारा प्रभु दे रहे,

इस विश्वास को जगा लेना,

राही, मत मानो तुम हार,

चलते जाना कर्म तुम्हारा,

मंजिल कर रही तुम्हारा इंतजार,

राही, मत मानो तुम हार।


Writer:- Abhilasha "Abha"
From:- Patna, Bihar


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