माँ अक्षरा और उनकी स्मिता ( हिन्दी दिवस विशेष ) - by Anamika Vaish Aina
हिन्दुस्तान की आवाज़ माँ हिन्दी
गूंजे कण-कण मेें साज माँ हिन्दी।
हृदय है भारत और भारतीयों का,
गहरी भावना का राज़ माँ हिन्दी।
माँ अक्षरा ही भारत आन-शान,
माँ से ही हमारी जगत पहचान।
मनमोहक है लोकप्रिय हिंद में,
सरस सरल मधुर हरेक पिंड मे।
राष्ट्र की शानदार धरोहर है हिन्दी,
संस्कृति और सभ्यता का आधार।
अपमानित करे जो माँ हिन्दी को,
है उसे दंड का प्रावधान उपहार।
अक्षरा 47करोड़ जनों की वाणी,
माँ माने चित से जनता दीवानी।
माँ अक्षरा राष्ट्रभाषा, राजभाषा,
सम्मान से कोई कहे मातृभाषा।
हिन्दी सन उन्नीस सौ उनचास मे,
सम्मान हुई स्वतन्त्र हिन्दुस्तान में।
धारा तीन सौ तैतालिस से इक्यावन मे,
माँ अक्षरा सज गयी हिंद के संविधान में।
संस्कृत की पुत्री ये बेहद गुणी है,
लिपि देवनागरी व्याकरण रमी है।
मन-विचारों पर नचे मोर इसका,
प्रसार-प्रचार में भी है शोर इसका।
विश्वास है माँ हिन्दी झूमेगी एक दिन,
विश्व में दिव्य रथ पर घूमगी एक दिन।
मुस्कान अधरों पर सजेगी होगा यश दोनों करों में,
हिन्दी माँ की विजय का पताका लहराएगा घरों में।
सदा ही बनी रहे जग स्मिता और अभिमान,
माँ हिन्दी की ख़ातिर शुरू करेंगे ये अभियान।।
सदा करेंगे हम यह अभियान,
पूर्ण समर्पित हो देंगे सम्मान।
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