ना तुम यूं श्रृंगार करो - by Dr. Vishal Singh 'Vatsalya' (Love, Love Poem, Love Shayari, Love Status, Love Quotes, Love Story )


मृगनयनी सी हो तुम प्रिये

चंचलता है इन नज़रों में...

खुशबू से भरा,भरा है यौवन

और मधुशाला है अधरों में....



झील सी नीली आंखों में

नित रोज नए नजारे हैं....

डूब जाने का दिल करता है 

जैसे जन्मों के प्यासे हैं..... 


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वाणी कानो में मिश्री घोले है 

जैसे सुधा कोई रस में घोले है....

सुनों, ना फूल लगाओं बालों में 

ना तुम यूं श्रृंगार करों ..



महक सी उठती हैं आंगन में 

फिर इश्क़ अंगङाईया लेता हैं...

कब तक धङकन थामे हम

कब तक तेरा इन्तजार करें ....



ना मधु बन ना मधुशाला बन

तेरी आँखों के महखानें में 

आज उतर जानें दे...

बल खाने दे जुल्फो को


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आज घनघोर घटा छाने दे...

बारिश की रिमझिम बूंदों में 

फिर यौवन अंगङाईया लेता है...

तुम बल खाती जब चलती हो



एक सिरहन सी चलती हैं...

ना तुम यूं श्रृंगार करो 

नज़रों का ना यूं तुम वार करो..

ना तुम यूं श्रृंगार करों...




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