भाई - by Pinki Khandelwal
भाई की कमी हर पल खली मुझे,
बचपन में जब किसी बहन को,
भाई के राखी बाधंते देखा,
तो आंखें भर आती थी मेरी,
सोचती थी हमेशा,
मेरा भी भाई होता,
मैं भी उसे राखी बांधती,
पर थोड़ी बड़ी हुई तब,
समझ आया कि,
कुछ सोचा था भगवान ने भी,
दिया मुझे भी ऐसा भाई,
जो दूर है पर चिढ़ाने में,
नंबर वन हैं,
एक दिन बात न करूं तो,
परेशान हो जाता है,
थोड़ा गुस्से वाला है,
पर मेरी हर बात को,
बिना कहे समझ जाता है,
हूं कभी दुखी तो,
दूर रहकर भी समझ जाता है,
है थोड़ा सा खडूस,
पर फिर भी बहुत प्यारा है,
मेरी तबियत की फिक्र करने वाला,
खुद का न रखे कभी ध्यान,
और हर वक्त गुस्सा नाक,
पर चढ़ाए रखता है,
कभी कोई ग़लती करूं तो,
पिता की तरह समझाता है,
तो कभी हो जाऊं गुस्सा तो,
मां की तरह लाड़ लडाता है,
कभी लाडो तो कभी मोटो कहकर बुलाता है,
क्या लिखूं समझ नहीं आ रहा,
क्योंकि बहन का प्यार शब्दों से,
बयां नहीं होता,
बस कहना है भाई जहां भी रहो,
हमेशा खुश रहो।
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