उन बातों की रुत ना भरो - by Shubhasish Pattanayak
उन बातों की रुत ना भरो,
उन बातों की रुत ना भरो,
अब रूखी लतीफों सा जो
उन बातों की रुत ना भरो
सांझा करते थे जो
देखो उन ख्वाबों को
फिरसे अब ना दिखाया करो
उन बातों की रुत ना भरो
उन बातों की रुत ना भरो।
क्यूं ना पूछे तुम्हे
हाल ए दिल ये मेरे,
तोड़ा क्यूं है मुझे
इस कदर प्यार में,
जलते हैं रात को जान ए जान!
अब ना तुम यूं दिखावा करो।
उन बातों की रुत ना भरो।
उन बातों की रुत ना भरो।
अब रूखी लतीफों सा जो
उन बातों की रुत ना भरो।
उम्र की राह में
जो थे छूटे हुए,
उन बेज़ारों की परवाह
तुम ना करो।
उन बेजारों की परवाह
तुम ना करो।
हम तो मर ही रहे जान ए जान!
अब हमे यूं छला ना करो।
उन बातों की रुत ना भरो।
उन बातों की रुत ना भरो।
अब रूखी लतीफों सा जो
उन बातों की रुत ना भरो।
उन बातों की रुत ना भरो।
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