आजादी का दीवाना भगतसिंह - by Priyanka Pandey Tripathi
जलियांवाला बाग हत्याकांड,
से उद्विग्न हुए सरदार भगतसिंह।
सोच पर उनके पड़ा गहरा प्रभाव,
चन्द्रशेखर संग बोया क्रान्तिबीज।।
लाहोर मे साण्डर्स की हत्या,
असेम्बली मिटिगं मे बम विस्फोट कर।
अंग्रेजो के विरूद्ध विद्रोह का बिगुल बजाया,
भागा नही वह हो गया गिरफ्तार।।
फांसी का आदेश आ गया,
जेल का प्रतिनिधि बोला।
बताओ अपनी अन्तिम इच्छा,
लेनिन जीवनी पूरी पढ़ लूं जरा।।
एक क्रान्तिकारी पहले दूजे,
क्रान्तिकारी से मिल लें।
छत की ओर किताब उछाल कर,
बोला ठीक है चलिए अब।।
झूम झूम कर गा रहा दीवाना,
बोल रहा इंकलाब की बोलियां।
मौत का किंचित नही था डर,
देखकर अचंभित था जेलर।।
फांसी का फंदा देख सिंह बोला,
पहना दो मुझको आजादी का चोला।
मां भारती के चरणों का तिलक लगा,
आजादी का परवाना मस्ती से डोला।।
मां से बोला तू रोना मत,
हंसते हंसते मुझको विदा कर।
मातृभूमि पर अर्पित होकर,
चुकाना है आज मां का कर्ज।।
वसंती चोला पहनकर,
झूल गया वह झूला।
इंकलाब वन्देमातरम से,
भारत का हर कोना गूंजा।।
शहीद हो गया आजाद भगत सिंह,
कतरे कतरे मे आजादी का जोश जगाकर।
याद रखेगा तुमको हर भारतवासी,
अपने रक्त से सींचा भारत का हर उपवन।।
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