चंद्र शेखर आजाद पर कविता (तुम आजाद थे, आजाद हो, आजाद रहोगे) - by Priyanka Pandey Tripathi (Chandra Shekhar Azad)


तुम बाल ब्रह्मचारी, मां भवानी के साहसी सपूत थे।

आंखो मे सूरज सा तेज, निर्भीक निडर क्रान्तिदूत थे।।


नाम आजाद पिता का नाम स्वाधीन घर कारावास था।

तुम्हारे नाम से अंग्रेजी हुकूमत भी थर थर कांपा था।।


तुमने कहा था!तुम आज़ाद थे आजाद हो आजाद रहोगे।

तुमने खाई थी कसम अंग्रेजो के हाथ कभी नही आओगे।।


एक दिन ऐसा आया, जयचंद ने अंग्रेजो से हाथ मिलाया।

और अंग्रेजो की टोली ने तुम्हे चारो तरफ से घेर लिया।।


तुमने अपनी प्यारी पिस्तौल उठाई,अंग्रेजो से लोहा लिया।

तीन फिरंगियों को मार गिराया, मौत का किंचित भय न था।।


अन्त में एक गोली बची, तुम्हे अपनी कसम याद आई।

मातृभूमि को चरणस्पर्श कर, अपनी पिस्तौल कनपटी पर लगाई।।


मातृभूमि के लिए बलिदान देकर अमर शहीद हो गए।

यह मातृभूमि तुम्हे करती है शत् शत् नमन!

तुम आज़ाद थे आजाद हो आजाद रहोगे।।




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