स्त्री - by Sapna Parihar


बिना अपने अस्तित्व को जाने,

करते हुए अपने

उत्तरदायित्व का निर्वहन

अथक प्रयास और 

कठिन मेहनत से 

बढ़ाती कदम से कदम

अपने जीवन साथी के साथ

परिवार की जिम्मेदारियों को

सांझा करने में!

नहीं याद रहता उन्हें 

सजना,सँवरना,कुछ पल

आराम का खुशनुमा क्षण

बिताना सुकून से!

वो तो रहती है अपनी ही 

दुनियाँ में व्यस्त-मस्त

खुशी की लहर लिए 

अपने तन-मन में

पूरी ऊर्जा के साथ !

बिना जाने कि 

एक दिन उनका भी

होता है,जिस दिन हर औरत

होती है सम्मानित

इस आभासी दुनियां की

चकाचौंध में, जो

दिखती तो है पर

उसकी काबिलियत

बड़े-बड़े लोगो को नहीं

दिखती!

क्योंकि वह छुप जाती है

उन स्त्रियों के पीछे जो

रहती है हमेशा आगे

आगे बढ़ने की होड़ में!

इस आभासी दुनियां की

चकाचौंध में!

🌹महिला दिवस की शुभकामनाएं🌹🙏🏻



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