जब लिखना ऐ !.कलम मेरी तो भूल न जाना वीरों को - by Vijay Kumar Tiwari "Vishu"


जब लिखना ऐ कलम मेरी तो भूल न जाना वीरों को,

करते थे जो इश्क सदा निज देश से क्रांतिवीरों को।।


जकड़ी थी घोर गुलामी जब ,थी पड़ी बेड़ियां हाथों में,

थर-थर दुनिया भी काँप गया गोरों के भ्रष्ट प्रशासन में,

शोषित अपमानित थी जनता आह भरी जो तन-मन में,

जब रौंद दिया जाते सपने लफ्जों को मौन किए पल में,


क्रांति ज्योति जो जला गए लिखना उनके अधिकारों को,

जब लिखना ऐ !कलम मेरी तो भूल न जाना वीरों को।।


जो  खेतों  की  क्यारी  में  बन्दुक  लगाया  करते  थे,

यातना  सहे  जो गोरों  के  जयघोष लगाया  करते थे,

भुजा सदा थक जाती थी जो कोड़े बरसाया करते थे,

अथक अनवरत वीर  सदा गोरों को सताया करते थे,


वन्देमातरम इंकलाब सा जोश भरे लिखना ऐसे नारों को,

जब लिखना तूँ  ऐ कलम मेरी तो भूल न जाना वीरों को।।


लिखना उन बलिदानों को जो प्राण तजे हँसते-हँसते,

लिखना उन माताओं को जो लाल दिए हँसते-हँसते,

लिखना तुम नववधुओं को सिंदूर दिए हँसते-हँसते,

लिखना देश दीवानों को शूली चढ़ गए हँसते-हँसते,


हिल गया हुकूमत गोरों का लिखना सम्मान में वीरों को,

जब लिखना ऐ !.कलम मेरी तो भूल न जाना वीरों को ।।




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