वीर छत्रपति संभाजी महाराज - by Priyanka Pandey Tripathi



तेरह साल की उम्र,

तेरह भाषाओं का ज्ञान,

शस्त्र शास्त्र मे निपुण,

निर्भीक निडर विराट व्यक्तित्व,

वह छत्रपति संभाजी महाराज!!


नही था कबूल इस्लाम धर्म,

था महादेव का अनन्य भक्त,

औरंगजेब था खुन्नस खाया,

पर औरंगजेब के हाथ न आया,

था मराठों का वह अभिमान!!


औरंगजेब ने कूटनीति अपनाया,

जयचंद से जा हाथ मिलाया,

मित्र सलाहकार कवि कौशल संग,

छल से सम्भाजी को किया कैद,वरना

औरंगजेब के बस की कहां थी बात!!


बख्श दूंगा तुम्हारी जिंदगी,

जो कबूल करो इस्लाम धर्म, 

सभी किले हमारे हवाले कर दो,

ऐशो आराम से रहना जिंदगी भर,

मान लो हम हैं तुम्हारे सुल्तान!!


नही कबूल! जितनी बार मरूंगा,

सनातन धर्म मे ही जनम लूंगा,

मराठो का मैं हूं शौर्य,

किसी मे नही दम मिटा दे हस्ती,

हिंदू धर्म से ही है हिन्दुस्तान!!


जीभा काटी  आंखें फोड़ी,

कहा कबूल करो इस्लाम धर्म,

पर म्लेच्छ समझ न पाया,

मन मस्तिष्क के नही हो सकते टुकड़े,

वह तो जप रहा था जय अमरनाथ!!


वह नही झुका वह नही डरा,

तन के टुकड़े टुकड़े कर,

नदी किनारे दिया फिकवा,

मराठों का शौर्य जागा,

एकता का हुआ संचार!!


देश के लिए हो गया कुर्बान

वीरता का जोश भर गया,

सनातन धर्म बचा गया,

वीर पराक्रमी प्रतापी,

शेर का पुत्र था शावक!!




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