याद हमें आता है वो जमाना - Anjali Goswami


क्यों करते हो मात्र, बड़ी खुशियों का इंतजार, 

दो पल ठहर कर तो देखो ,

इन्ही पलों में छुपी है छोटी खुशियां हजार ।

क्या कभी सोचा है,

 हमें अपना बचपन क्यों याद आता है,

क्यों ये समय इतना यादगार बन जाता है ।

यही तो वो पल थे,

 जब हम बेफ़िक्री से जिया करते थे,

छोटी बातों में खुशियां ढूंढ लिया करते थे ।

पेड़ से तोड़े फल खाने से लेकर ,

बारिश में कागज की नाव तैराना।

रंगबिरंगे बर्फ के गोले खाकर, 

एक दूसरे को जीभ चिढ़ाना ।

कभी लूडो खेलते खेलते लड़ जाना,

तो कभी दो पल में कट्टी से दोस्ती हो जाना।

याद हमें आता है वो जमाना ,

क्योंकि  तब हम हर पल को जी लिया करते थे,

छोटी-छोटी खुशियों को हम सहेज लिया करते थे ।

लेकिन ...... लेकिन........

अब हम बड़े हो गए है ,

अब तब तक नहीं आता है हमें खिलखिलाना,

जब तक ना मिले खुशियों का खजाना ।

बड़े सपने बड़े अरमानों के साथ,

बड़ा हुआ हमारी खुशियों का पैमाना।

अब छोटी छोटी बातों के लिए ,

मुश्किल होता है समय निकाल पाना।

जिस प्रकार बड़े सपने और अरमान ,

देते है हमें समाज में एक पहचान,

उसी प्रकार छोटी खुशियां ,

बनाती है हमारे जीवन को यादगार,

इसलिए ना करे इन्हे दरकिनार।

छोटी बड़ी खुशियों के मोती चुन,

पिरों ले अपनी जीवन माला का संसार ।।।




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