बेटी की अभिलाषा - Madhuri Verma


डॉक्टर बनने की है ,मेरी बेटी की अभिलाषा ।

उसे विश्वास है कि ,पूरी होगी उसकी आशा ।

संजोया है सपना उसने ,ये मैंने भी तब जाना ।

जब बेटी ने अपना भविष्य, चुनने का खुद ठाना ।

समझा रही थी मुझे, जब मैं डॉक्टर बन जाऊँगी ।

गर्भ में आने वाली हर बेटी को,धरती पर लाऊँगी ।

बेटी के पैदा होने पर, यदि माँ को कोई कोसेगा ।

बेटा पैदा ना होने का ,कोई भी यदि दुख मनायेगा ।

भेद करो ना बेटा बेटी में ,उसको ये समझाऊँगी ।

बेटी भी अंश है माँ बाप का,ये अच्छे से बतलाऊँगी ।

बेटी ही बहू बनती है , परिवार का वंश  चलाती हैं ।

कभी बेटी तो कभी बहू बनकर कर्तव्य निभाती हैं।

फिर बेटियों को बेटों से ,कम क्यों आँका जाता है ?

तुम्हारी क्या अभिलाषा है ? क्यों नहीं पूछा जाता है ?

बेटियाँ भी जीना चाहती हैं,हमें भी आज़ादी चाहिए ।

अपना जीवन साथी चुनने की ,अनुमति भी चाहिए । 

सभी माता पिता से विनती है ,बेटियों को खूब पढ़ाओ।

सभी भाइयों से निवेदन है ,किसी की बेटी को मत सताओ।

हम बेटियों के सपने को साकार होने का सौभाग्य चाहिए ।

हम सृष्टि की वरदान हैं,हमें हमारा अधिकार चाहिए ।

 



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