आज़ाद की कहानी - by Ashish Dwivedi Samdariya (Story of Chandra Shekhar Azad)


सुनते हैं जब हम बलिदानो का,

बलिदान बखानी रगों में रक्त प्रवाह तेज हो जाता है,

आजाद है वो, आजाद ही थे ,

आजाद ही रहेंगे का नारा हम सुनाते है!


थर-थर कांपते अंग्रेजों को लोहे के चने चबाये थे,

कौन रुका है और कौन झूका है,

...........यह तूम आज जानोगे, आजाद है वो, …………...जो भारत के लाल,

उनके बलिदानों के इतिहास को हम सूनाते है!


पेश हुए कारागृह में आजाद नाम बताया था,

चकित हुआ अंग्रेजी शासन, 

तब पिता स्वतंत्रता बतलाया था,

ऐसे ही बलिदानों के इतिहास को हम सूनाते है,

यह जग को नया संदेश देते हैं!


आजाद था मैं, आजाद हूं मैं,

आजाद ही मैं कहलाऊंगा,

छेड़ दिया आजादी का संदेश,

पूरा हिंदूस्तान तब डरा नहीं,

तब घूसकर अंग्रेजों को मार भगाया था!


झांसी की रानी से लेकर प्रेरणा,

अपना हिम्मत दिखलाया था,

उम्र ना पूछो,अब क्या जानोगे हिम्मत और साहस की बलिदानों को,

ककोरी काण्ड में अंग्रेजों को अपना लोहा मनवाया था!


साथियो संग आजादी का नारा लेकर टूट पड़े अंग्रेजों पर,

ऐसे ही अंग्रेजों को स्वतंत्र भारत का झलक दिखलाया था!


महान क्रान्तिकारी कहलाते हैं वो,

युवाओं के लिए प्रेरणा कहलाते हैं वो,

युवाओं में देशभक्ति की भावना जागते हैं वो,

भारत मां की रक्षा करना चन्द्रशेखर आज़ाद ने ही सिखलया था!


लोहा लिया अंग्रेजों से,

मुक्त कराया भारत मां को,

तन मन अर्पण किया,

झोंक दिया अपने बलिदानों को,

चाह नहीं थी, जीवित रहने की,

जीद थी भारत मां को आजाद कराने की,

ठान लिया,यह मान लिया,

पूर्णरूप से भारत मां को आजाद कराने की!


तब सबसे मिलकर आजादी की चिंगारी लगाई थी,

आजाद हूं मैं, आजाद था मैं,

आजाद ही रहूंगा मैं,

नहीं आये किसी अंग्रेजों के हाथ,

शान से,हंस कर और मूंछ में ताव लगा कर,

भारत मां को बलिदान देकर गले लगाया था!


आशीष है ये क्या लिखेगा अब, उनके बलिदानों को,

देश भक्ति की आग युवाओ में जलना था,

बलिदानों से सिखो और प्यार करो भारत मां को,

याद करो कुर्बानी मां के लालों की,

जो झूके नहीं, जो रूके नहीं,

स्वतंत्र कराया भारत मां को देकर प्रणो की आहूति!




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