हम कब तक तमाशा देखेंगे (बेटी बचाव विशेष) - by Ashish Dwivedi Samdariya


हम कब तक तमाशा देखेंगे

हम कब तक तमाशा देखेंगे


अब अन्याय रोकना है हमें, अब सम्मान करना है हमे

सम्मान अब हम करना कैसे भूल गए

सम्मान बचना भी कैसे भूल गए


कन्या दान किया पर अब दया दिखाना कैसे भूल गए

हम अब बेटियों का अभिमान रखना भी भूल गए


इज़्ज़त हमारी-आपकी है बेटियां 

क्यो अरमान रखना भी छोड़ दिये


हम कब जागेंगे इस नींद से 

हम कब तक सोने देंगे चैन से


हम मां की पूजा और आराधना करते हैं

हम बचाओ बेटियों को बेटी बचाओ अभियान करते हैं


अब नहीं लाएगा कोई परिवर्तन अब हमको क़दम उठाना है,

इस ज़माने में तभी परिवर्तन आना है!


हमारे देश में बेटियों को बचाने के लिए  अब समाज को जगाना है

सोना था जब सो लिया,अब जग को जगना है!


बचाओ बेटियों को, बेटी बचाव अभियान चलाते हैं हम,

पहचान है इनसे हमारा, जन्मदाता भी यही हमारा!


हमारे वतन में हो यह सपना पूरा,

बेटी,बहू और मां,बहन का हो पूरा सम्मान!


प्रण करें हम बेटियों को बचाने के लिए,

हमारे देश के बेटियाँ कब तक तमाशा बनेंगी!


कानून नहीं बदला तो,हमें है बदलाव लाना,

बेटियां हमारी कल और आज है,कल के तस्वीरों में बदलाव लाना है


अभी नहीं जागे तो, फिर कब जागेंगे, अब उठो और आगे बढ़ो

अब बचाना है अपने बेटियों को मजबूरी में नहीं है अब जीना!


अब एक होकर, एक ताल में क़दम बढ़ाना

अब अन्तिम परिवर्तन के लिए कदम है उठाना


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