आधुनिक संसार - by Samunder Singh Panwar
आधुनिक संसार
सतयुग ,त्रेता, द्वापर बीता आया कलयुग मेरे यार।
पीछे गाली, आगे ताली, खूब बजाता है संसार।।
समझदार अपनें को समझें बात करें ऊंची - ऊंची।
पीठ के पीछे करें बुराई और सामने हो गर्दन नीची।
अपने बस की बात नहीं तो औरों की जा टांग खिंची।
करते उल्टे काम फिर भी अपने को ये कहे दधिचि।
बुरे काम करें, ना मन में डरें ऐसा है इनका व्यवहार।
पीछे गाली, आगे ताली, खूब बजाता है संसार।।
इधर की बात उधर को कहदें,उधर की इधर लगाते हैं।
जब तक काम ये पूरा ना हो रोटी तक ना खाते हैं।
सीधे - सच्चे लोगों को नजरों से गिराना चाहते हैं।
करके चुगली एक - दूसरे को आपस में लड़वाते हैं।
कोई चाल चलाओ, इन्हें फ़साओ यूँ करते सोच - विचार।
पीछे गाली, आगे ताली, खूब बजाता है संसार ।।
कहे समुन्द्र सिंह मेरी बातों पर सारे भाई करना गौर।
शेर, सांप से खतरनाक ये होता जग में चुगलखोर।
शिखर चढ़ी वो काट देता है प्रेम के पतंग की डोर।
चुगलखोरों से बचके रहना ज्यादा कहुँ के मैं और।
जैसी संगत, वैसी रंगत यूँ कहते हैं सब नर - नार।
पीछे गाली, आगे ताली, खूब बजाता है संसार।।
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