अन्नदाता का सम्मान होना चाहिए - by Dr. Asha Sharan
अन्नदाता का सम्मान होना चाहिए
धरती को सर्वस्व मानकर
अपना सर्वस्व न्यौछावर करता
रात-दिन ही सेवक बनकर
धरणी का हर क्षण मान बढाता
अत: अन्नदाता का सम्मान........
वसुधा को पसीने से सिचिंतकर
हर कोने को उर्वर है कर जाता
अन्नदाता बन भी भूखा रहकर
सारे जग की भूख मिटाता
अत:अन्नदाता का सम्मान........
पूष की रात हो या ज्येष्ठ दोपहरी
वह हर पल सेवा में तत्पर रहता
खुद ही दीन-हीन रह जाता है
पर जग को खुशियों से भर देता
अत: अन्नदाता का सम्मान......
कृषकाय काया, वस्त्रहीन होकर
सदियों से शोषित होते ही आया
धरणी को धानी से सज्जित कर
खुद ही मन में पुलकित हो जाता
अत: अन्नदाता का सम्मान.......
देश के अर्थ का आधार बनकर
खुद ही अर्थहीन होकर जीता
बढती खुशहाली में खुश होकर
निज कष्टों को क्षण भर में भूलता
अत: अन्नदाता का सम्मान.......
निज कर्त्तव्य जान-समझकर हमें
इनके दु:ख-कष्टों को हमें मिटाना है
काट भेदभाव-शोषण की निष्ठुरता
इनको समुचित अधिकार दिलाना है
अत: अन्नदाता का सम्मान.......
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