औरत - by Neetu Joshi


औरत


औरत की क्या अजब कहानी है ,

कभी यह बेटी, मांँ, बीवी, भाभी

और बनती दादी, नानी है।

सभी रूपों में यह

निभाती अपना किरदार है,

कहीं लूटती वाह- वाह

तो कहीं होती तार- तार है।

अजब है इसका रूप,

निराली है इसकी छटाएँ,

इसी विशिष्टता के कारण

यह बनती सृष्टि का आधार है।

पूजन होता है कहीं इसका,

तो कहीं विरोधियों की चढ़ती फरमान है,

जो कुछ भी कहो इसकी अपनी

एक निराली शान है।

माँ रूप में लूटाती है करुणा,

पत्नी रूप में बनती है सहचर्या ,

दुर्गा रूप बन करती

पापियों का संहार है।

ऐसे ही तो नहीं कहते कि

नारी ही इस सृष्टि का सार है।।



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