जो बीत गई सो बात गई - by Tulsiram 'Rajasthani'
जो बीत गई सो बात गई
जो बीत गई सो बात गई, अब सुध आगे की लेय
मंजिल तेरे सामने पड़ी है, पीछे मुड़कर नहीं देख
इन आंखों ने साक्षात देखी,लोगों की मजबूरियां
मजदूरों ने पैदल नाप डाली, मीलों लम्बी दूरियां
वक़्त जब बुरा आता है, मुसीबतें अनेक लाता है
समय गुजर जाने बाद, पुराना घाव भर जाता है
सुख-दुःख तो जिन्दगानी में, यूं ही आते-जाते हैं
हौसला कायम रखने वाले ही, आगे बढ़ पाते हैं
पतझड़ गुजर जाने के बाद, बहारें भी आती हैं
भोर जब दस्तक देती है, रात्रि चली ही जाती हैं
तूफानी लहरों में किश्ती, कुछ तो डगमगाएंगी
जोश को टूटने मत देना, नैया पार लग जाएंगी
जो ठान लेते हैं हृदय में, कुछ कर-गुजरने की
वो हिम्मत भी रखते हैं, गगन में छेद करने की
केवे 'राजस्थानी', जज्बा कुछ तो खास नया हो
वतन मेरा विश्वगुरु बने, ऐसा ही प्रयास नया हो
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