बाल इच्छा - by Sandeep Katariya
बाल इच्छा
मैय्या मोरी मुझको भी एक बंसी ला दो ना
चलो मेले या फिर यहीं मँगवा दो ना
ताकि मैं भी जा बैठूँ यमुना जी के तीरे
और मधुर स्वर में बजाऊँ बंसी धीरे-धीरे ।
मैय्या मुझको भी प्यारी-सी गय्या ला दो ना
ले आएँ शहर से ऐसा बाबा से कह दो ना
फिर मैं भी जाया करूँगा गय्या चराने
और दोस्तों संग खेलूँगा बस इसी बहाने ।
मैय्या मुझको भी माखन-मिश्री ला दो ना
तरह-तरह के मेवे और पकवान बना दो ना
तब मैं भी दाऊ सा बलशाली हो जा आऊँगा
और मानवता के शत्रुओं को मार गिराऊँगा ।
मैय्या मुझको भी कान्हा से वस्त्र ला दो ना
मुझे भी सलोने शाम की तरह सजा दो ना
जिससे ना अखरे मुझे मेरा यह श्याम रंग
और सभी बच्चे स्वयं आकर खेलेंगे मेरे संग ।
मैय्या मुझको भी एक मोर मुकुट ला दो ना
मुझे हीरे मोतियों के आभूषण भी पहना दो ना
ताकि मैं भी सबसे आदर-मान पा सकूँ
पढ़ा-लिखा मुझे भी कृष्णा सा विद्वान बना दो ना ।
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