भद्दा भालू (बाल कविता) - by Prem Kumar Tripathi 'Prem'


भद्दा भालू


भद्दा भालू देख लोमड़ी,

उस पर मुँह  बिचकायी ।

लाल हुआ गुस्से से भालू,

शामत  दौड़ी  आयी ।।


भगी लोमड़ी जोर लगाकर,

पीछे खेदा भालू ।

डरकर भागे चुन्ना चाचा,

खोद रहे थे आलू ।।


कहा लोमड़ी बंदर भइया,

पड़ा है पीछे भालू ।

लाज बचा लो आज बहन की,

बहुत दुष्ट है कालू ।।


इतना सुनते ही बंदर,

हुआ आग बबूला ।

बोला टाँग तोड़कर उसका,

कर दूँगा मैं लूला ।।


चिंता छोड़ बाग में जाओ,

मानो मेरा कहना ।

'प्रेम'से खाओ फल बगिया के,

डरो न रंचौ बहना ।।


झट से लौट पड़ा भालू जब,

देखा ढेरों बंदर ।

एक बहन की रक्षा में,

सब लिए हाथ में पत्थर ।।

No comments

Powered by Blogger.