धैर्य और कर्म - by Prakash Mangar
धैर्य और कर्म
गम के बदल छाए हैं,
एक दिन हट जाएगा ।
धैर्य रखो तुम अपने ऊपर,
बुरा वक़्त टल जाएगा ।
मची है हाहाकार पूरे देश में,
एक दिन शांत हो जाएगा ।
चिंतित न हो देशवासियों,
समय एक सा नहीं रहता ।
कभी सुख में, कभी दु:ख में,
जीवन यूँ ही कटता रहता ।
मजबूत करो विचारों को तुम,
कभी न हम डगमगाएंगे ।
एक दिन ऐसा आएगा जब,
संकट से निजात हम पाएंगे ।
प्रण करो हे देशवासियों
वृक्ष कभी न काटेंगे ।
वृक्ष काट कर अपने देश को
बंजर नहीं बनाएंगे ।
गर जो हमने काटी एक,
एक की बदले रोपें अनेक ।
गर जो हमने किया ऐसा,
देश लगेगा स्वर्ग के जैसा ।
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