गृहिणी - by Anjana Pathak


गृहिणी


मैं सिर्फ गृहिणी कहलाती हूँ,

क्या यह अभिमान की बात नही ?

कैसे कह दिया कुछ नही करती?

मैं साधारण गृहिणी ही कहलाती हूँ।


रोज सूरज से पहले उठकर,

सब को अन का भोग कराती हूँ।

बिखरे–बिखरे घर को देखकर,

धीरे–धीरे फूलों की तरह सजाती हूँ।

मैं सिर्फ गृहिणी कहलाती हूँ।


खुद मैलें कपड़ों के संग धुलकर,

घर का भाग जगाती हूँ।

गंदे–बदबूदार बर्तनों को धोकर,

अपने मंदिर को चमकाती हूँ।

और मैं सिर्फ गृहिणी ही कहलाती हूँ।


मैं घर की अन्नपूर्णा हूँ,

बच्चों के प्रश्नों का उत्तर हूँ,

पति का सहारा हूँ,

घर की चार दिवारी का स्तंभ हूँ

और मैं फिर भी सिर्फ गृहिणी ही कहलाती हूँ।

No comments

Powered by Blogger.