हम तुम और वो - by Heetu Singla
हम तुम और वो
मोहल्ले में नई पड़ोसन आई,
पतिदेव की बाछैं खिल आई।।
अब तो अलमारी से नए पेंट शर्ट निकल आए ,
पुराने सारे कपड़े रिजेक्ट करने के ऑर्डर आए।
"मिसेज वर्मा" के नाम से घर गूंजने लगा,
पत्नि का मन अंदर ही अंदर कुढ़ने लगा।
उनकी छरहरी काया, गोरे रंग के चर्चे आम हो गए ,
हमारे सारे हुस्न के पर्चे गुमनाम हो गए।
हम प्रेयसी से अधेड़ उम्र पत्नी में बदल गए,
पतिदेव के दिल- दिमाग कहीं और ही मचल गये।
छत पर योगा -अभ्यास मजबूरी हो गया,
विटामिन डी अब बहुत जरूरी हो गया है।
दो-चार दिखते सफेद बाल रंगने लगे है,
पार्लर और सैलन के खर्चे अब जमने लगे हैं।
मि.वर्मा से दोस्ती ज्यादा बढ़ने लगी है ,
आँखें और कहीं गढ़ने लगी है।
"तुम भी मिसेज वर्मा की तरह, जींस टीशर्ट क्यों नहीं पहनती हो,
उनकी किट्टी ज्वाइन क्यों नहीं करती हो।"
उनकी तरह रहने की हिदायतें दी जाने लगी ,
हम में कमियाँ ही कमियां नजर आने लगी।
ढूंढ रहे थे जो मौका, वो एक दिन मिल गया ,
आज अखबार नहीं आया तो गुल खिल गया।
वर्मा के घर अखबार लेने जा रहा हूं,
सुबह की चाय भी वही जमा रहा हूं ।
देखा अंदर का हाल तो बत्ती जल गई,
मिसेज वर्मा की आवाज पतिदेव को खल गई।
मिसेज वर्मा की आवाज आ रही थी ,
मि.वर्मा पर बुरी तरह चिल्ला रही थी।
हाथ पांव वही सुन्न हो गए।
पतिदेव दरवाजे पर ही खिन्न हो गए।।
"पहले बर्तन मांज कर पोछा कर देना,
फिर मेरे लिए एक कप चाय और उपमा बना देना।
एक काम ढंग से नहीं करते हो,
यूहीं मेरे पति बने फिरते हो ।
आज ऑफिस एक घंटा लेट चले जाना,
मेरे पैरों में जरा नेल पॉलिश लगाना।"
पतिदेव आए, मुँह लटकाए ।
जानेमन! कहां हो? हमें बुलाए।
मुझ पर इतना प्यार लुटाती हो,
तुम मेरे मन को बहुत भाती हो।
तुम जैसी हो बहुत अच्छी हो, ऐसे ही रहना ।
मैं चाहे लाख कहूं, पर तुम बिल्कुल मत बदलना।।
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