हुनर को दें धार - by Priyanka Pandey Tripathi


हुनर को दें धार


क्यों हार कर बैठ गया,

क्यों मन मारकर बैठ गया।

असफलताओं से लेकर सबक,

मंजिल की ओर आगे बढ़।।


माना दरिया तूफानी है,

क्या तेरा हौसला पानी है?

मन के झरोखे मे देख झांककर,

अभी तेरे खून मे रवानी है।।


क्यों कुंठाओ से घिर गया?

क्यों माना जीवन मे है अंधेरा?

जैसे नन्हे दीप मिल करें दिवाली,

वैसे ही फूट पड़ती अंधियारे मे लाली।।


कुंठाओ को त्यागकर,

उम्मीद का दिया जला।।

जैसे अंधेरी रात को पड़ता है ढलना,

निश्चित होता है सूरज का रोज निकलना।।


निरंतर प्रयास करना होगा,

अंधेरो से डट कर लड़ना होगा।

अपने हुनर को धार देना होगा,

तभी मंजिल पाने मे सक्षम होगा।।

No comments

Powered by Blogger.