नीली झील - by Ranjana Fattepurkar


नीली झील


नीली झील में मुस्कराते

नील कमलों की पंखुरियों पर ठहरी

ओस की झिलमिल बूंदों पर

तुमने लिखी यादों को भिगोती

नज़म पढ़ लेती हूँ

तुम कितने ही दूर सही मुझसे

पर लहरों पर झलकती

तुम्हारी चाहत की तस्वीर

बंद पलकों से देख लेती हूं

जब भी तनहा रातों में

खामिशियाँ अनकही दास्तां सुनाने लगती हैं

तुम्हारी झील सी नीली आंखों में उतरे

मखमली ख़्वाबों के साए में तुम संग जी लेती हूं।

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