भारत का किसान - by Rachna Gulati


भारत का किसान


परिश्रम, सेवा, त्याग की मूर्ति 

है भारत का किसान,

जिसकी मेहनत सदका ही

हरे-भरे रहते हैं खेत-खलिहान ।


रूखा-सूखा खाकर

खेतों में जो अन्न उगाता,

अपने कर्तव्य पूर्ति में लगकर

सृष्टि का पालक कहलाता।


पर उसी अन्नदाता 

का जीवन है अभावग्रस्त,

बाढ़, सूखा, कर्जा

करता है उसे त्रस्त।


अपने हकों के लिए 

आंदोलन करना पड़ रहा किसान को,

हमारी भूख शांत करने वाले

धरा के भगवान को।


संभल जाओ, हे मानव

इतना भी अत्याचार न करो,

किसान की मेहनत का 

यूँ न तुम अपमान करो।


अगर किसान, खेत-खलिहान न रहे

तो सब भूखे ही मर जाएँगे,

ये धन-धान्य, पूँजी सब

किसी काम न आएँगे।


किसान के संयम, धैर्य का

न इतना इम्तिहान लो,

अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए 

न उसका इस्तेमाल करो।


उस अन्नदाता के त्याग का 

तुम सब करो सत्कार,

देश नहीं जिसके बिना पूर्ण

उसे मेरा प्रणाम बारम्बार 

उसे मेरा प्रणाम बारम्बार।

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