किताबों की दुनिया - by Mithilesh Tiwari "Maithili"
किताबों की दुनिया
होती है किताबों की दुनिया
ज्ञान-विज्ञान का अक्षय भंडार ।
पार करते हम अज्ञान का दरिया
लेकर जिसका अवलंब आधार ।।
संवाहक बनतीं ये संस्कृति की
देती मानव सभ्यता को आकार ।
उन्मूलक ये मानस विकृति की
हरती संसृति के तमस विकार ।।
विचार विविधता भरी वाटिका
दिखलाती जीवन के रंग हजा़र ।
धूप-छाँव में पुष्पित हर कलिका
बिखराती नवरस सौरभ अंबार ।।
तन्हाई की सच्ची है साथी
देती अतुलित ज्ञान का उपहार ।
बनती हर कदम संग सारथी
दिलाती ओझल वांछित अधिकार ।।
चिंतन और कल्पना शक्ति का
होता जहां निरन्तर विस्तार ।
उन्नत बुद्धि-विवेक व्यक्ति का
करती यह उज्जवल अंतर द्वार ।।
इस दुनिया में जो भी रमता
करता अपने सपनों को साकार ।
सतत प्रवर नित कर्मशीलता
से बनता उत्तम सृष्टाकार ।।
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