तू ही वो लक्ष्मीबाई है - by Uttam Kumar Singhal
तू ही वो लक्ष्मीबाई है
मत समझ कमजोर तु खुद को,
तु बलशाली वह नारी हैं,
धर लेती जब तु रौद्र रूप,
मचता हैं हाहाकार चारों ओर,
उठता हैं कांप ; धरती; अंबर,
दिखता नहीं कोई तेरा तोड़,
खुद की ताकत से हो रूबरू,
क्यों हिम्मत तूने हारी हैं,
तु वह बलशाली नारी हैं,
जिसके सामने अंग्रेजी फौज हारी हैं,
मत समझ कमजोर तु खुद को,
तु बलशाली.....
वाराणसी में जन्म पाकर,
बचपन ; बिठूर मे बिताया था,
क्रांति की अलख जगा कर,
देश मे आजादी की नीव रखी थी,
पराक्रम का परचम लहराकर,
अंग्रेजी फौज को धूल छटाई थी,
अंग्रेजो को हराया तूने,
तू ही वो लक्ष्मीबाई है,
बन जा तु खुद वहीं मर्दानी हैं,
आज भी वहीं युद्ध जारी हैं,
मत समझ कमजोर तु खुद को,
तु बलशाली.....
इतनी भी क्यूँ हैं; खामोश तु,
दर्द किसको बता रहीं हैं,
अपने तन पर जुल्म तु सहकर,
यह कैसा धर्म निभा रही हैं,
कोई नहीं यहाँ तेरा अपना,
तु किसको अपना दुःख सुना रही हैं,
मत समझ कमजोर तु खुद को,
तु बलशाली.....
जब तु समझ जायेगी अपनी ताकत,
रणचंडी बन जायेगी,
सीनाजोरी करते हैं जो,
उनकी अकड़ सारी मिट जायेगी,
उठाएगी तु जब तलवार,
फौज अंग्रेजो की भाग जायेगी,
मत समझ कमजोर तु खुद को,
तु बलशाली.....
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